‘जय गंगाजल’ की सबसे बड़ी खासियत इसके डायरेक्‍टर प्रकाश झा हैं। झा को डायरेक्‍शन के अलावा अभिनय का भी शौक रहा है। फिल्‍म राजनीति के एक दृश्‍य में वे चंद सेकंड्स के लिए नजर आए थे। हालांकि, मेनस्‍ट्रीम एक्‍ट‍िंग में उन्‍होंने ‘जय गंगाजल’ के जरिए कदम रखा है।

झा ने अपनी पिछली फिल्म ‘गंगाजल’ की बिहार केंद्रित पटकथा और कहानी में थोड़ी फेरबदल की। मुख्य किरदार हीरो की जगह हीरोइन को चुना और इस तरह से उनकी नई फिल्‍म तैयार हो गई। स्थानीय नेता और अपराधी उनकी फिल्मों में खलनायक पहले भी होते थे और इस बार भी हैं। जहां तक झा के किरदार का सवाल है, उन्‍होंने एक भ्रष्‍ट अफसर बीएन सिंह का किरदार निभाया है। बीएन सिंह का बाद में हृदय परिवर्तन होता है और वो कानून का साथ देने लगता है। प्रियंका चोपड़ा ने आभा माथुर नाम की पुलिस अफसर का लीड रोल किया है। उनकी भूमिका ‘गंगाजल’ के अजय देवगन से मिलती जुलती है।

आभा ईमानदार हैं, जिनकी स्‍थानीय बाहुबली बबलू पांडे (मानव कौल) और उनके भाई डबलू पांडे (निनाद कामत) से ठन जाती है। दोनों पक्षों के इस संघर्ष में जीत किसकी होगी, यह हमें पहले से पता है। हालांकि, आभा किस तरह इनसे निपटती हैं, इसी रोमांच के सहारे कहानी आगे बढ़ती है। एक्‍शन सीन्‍स में गुंडों पर भारी पड़ती प्रियंका को देखना अच्‍छा लगता है। कमी सिर्फ ये है कि इतनी मारपीट के बावजूद प्रियंका का मेकअप नहीं बिगड़ता।

डायरेक्‍टर ने फिल्म का दायरा बढ़ाने के लिए जमीन की लड़ाई और कुछ दूसरे मुद्दों को स्‍क्र‍िप्‍ट का हिस्‍सा बनाया। हालांकि, ऐसा करने से फिल्‍म थोड़ी लंबी हो गई। ‘जय गंगाजल’ ढाई घंटे की फिल्‍म है। प्रियंका ने इस भूमिका को निभाने में जो मेहनत की है, वो नजर आती है। हालांकि, दर्शकों को यह फिल्‍म पिछली वाली की तरह ही पंसद आए, इस बाद की उम्‍मीद कम है। आखिर में बात प्रकाश झा की। बतौर अभिनेता वे जमते हैं। दूसरे निर्देशक अपनी फिल्म में उन्‍हें काम दे सकते हैं। मानव कौल ने भी अपने डायलॉग्‍स से खूब तालियां बटोरी हैं।

डायरेक्‍टर- प्रकाश झा
स्‍टारकास्‍ट– प्रियंका चोपड़ा, मानव कौल, प्रकाश झा, निनाद कामत, राहुल भट्ट