यह फिल्म भी हिंदी बनाम अंग्रेजी माध्यम की है ‘हिंदी मीडियम’ की तरह। लेकिन ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ एक इश्किया फिल्म भी है। बिल्कुल अंग्रेजी नहीं जाननेवाला एक बिहारी लड़का माधव झा (अर्जुन कपूर) दिल्ली के उस सेंट स्टिवेंस (सेंट स्टीफेंस नहीं) नाम के कॉलेज में बीएस (समाजशास्त्र) में स्पोर्ट्स कोटे से दाखिला लेने पहुंचता है जहां की घास भी अंग्रेजी बोलती है। इस माहौल में टिकने को लेकर उधेड़बुन में है। तभी उसे रिया (श्रद्धा कपूर) नाम की लड़की बॉस्केट बॉल खेलती दिखती है। माधव अंग्रेजी में भले फिसड्डी हो लेकिन बॉस्केट बॉल का धांसू खिलाड़ी है। माधव के दिल में वह लड़की समा जाती है। पर माधव डरता भी क्योंकि रिया फर्राटेदार अंग्रेजी बोलती है। लेकिन बॉस्केट बॉल रिया और माधव के बीच सीमेंट का काम करता है।
माधव रिया के करीब तो चला जाता है लेकिन रिया खुद को माधव की हाफ गर्लफ्रेंड कहती है। माधव के मतलब पूछने पर वह जवाब नहीं देती। इस बीच रिया की शादी किसी और से हो जाती है और माधव अपने गांव लौट जाता है, जहां उसकी मां एक स्कूल चलाती है।
समय के साथ माधव के जीवन में रिया तलाकशुदा बन कर पटना लौटती है। दोनों की प्रेम कहानी और आगे बढ़े इसके पहले रिया अमेरिका चली जाती है। पर रिया तो माधव के भीतर यानी उसके वजूद में है। इसलिए जब उसे अमेरिका जाने का मौका मिलता है तो वहां भी वह रिया को खोजना जारी रखता है। क्या उसकी हाफ गर्लफ्रेंड स्थायी रूप से उसके जीवन मे लौटेगी?
चेतन भगत के उपन्यास पर बनी यह फिल्म अंत की तरफ बढ़ती हुई ‘बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ’ के लिए प्रचारात्मक फिल्म भी बन जाती है। साथ ही बिल और मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के लिए भी। पता नहीं एवज में फिल्म बनाने में इस फाउंडेशन की तरफ से निर्माताओं को कोई आर्थिक मदद मिली या नहीं और मिली तो कितनी पर यहां यह भी कहना जरूरी होगा कि यह कुछ और बेहतर और मर्मस्पर्शी हो सकती थी अगर प्रचार का पहलू इसमें न होता। एक अच्छी खासी प्रेम कहानी बिल गेट्स और उनके फाउंडेशन के लिए विज्ञापन फिल्म बन गई है। नारी शिक्षा की वकालत इसके बिना भी की जा सकती थी।
फिर भी ‘हाफ गर्लफें्रड’ आज की युवा पीढ़ी की जुबान और शैली को उभारनेवाली एक अच्छी फिल्म है। दिल्ली में रिया और माधव के बीच जो रिश्ता बनता है उसे बहुत अच्छी तरह से फिल्माया गया है। बिहार जैसे राज्य का लड़का, जहां लड़कियां शैक्षिक जीवन में कम हैं, दिल्ली आकर सहज रूप से लड़कियों से बात नहीं कर पाता। उसमें झिझक और भय रहता है। ऐसे मामलों में दोस्त किस तरह अनचाहे सलाहकार हो जाते हैं वह यहां बारीकी के साथ मौजूद है। रिया के रूप में श्रद्धा कपूर ने एक अमीर मगर मानसिक तौर पर अकेली लड़की का किरदार जिया है। माधव में उसे वह शख्स दिखता है, जो उसे सहज बनाता है। अर्जुन कपूर ने भी एक ऐसे लड़के का किरदार सशक्त तरीके से निभाया है जिसका दिल्ली में आत्मविश्वास हिला हुआ है फिर भी इश्क ने उसे काम का बना दिया है। हालांकि इसके बावजूद वो अंग्रेजी ठीक से सीख नहीं पाता। आखिर दृश्यों में अर्जुन का अभिनय एक नई दिशा की तरफ जाता है। फिल्म में अमेरिका वाले दृश्य भी दमदार हैं।
Half Girlfriend Review: एक इश्किया फिल्म भी है हाफ गर्लफ्रेंड
यह फिल्म भी हिंदी बनाम अंग्रेजी माध्यम की है ‘हिंदी मीडियम’ की तरह। लेकिन ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ एक इश्किया फिल्म भी है।
Written by रवींद्र त्रिपाठी
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First published on: 20-05-2017 at 01:19 IST