Bunker Hindi Movie Review, Rating: इस फिल्म को बनाने के पीछे जो सोच है वो ये कि युद्ध मानवजाति को नुकसान पहुंचाता है। दो या कई देशों के बीच लड़ाई न सिर्फ मनुष्यता के लिए अभिशाप है बल्कि परिवारों को भी बर्बाद करती है। लेकिन इस तरह की मुकम्मल फिल्म बनाने निर्माताओं के पास या तो धन नहीं था या वैचारिक तैयारी नहीं थी। इसलिए ये भारत पाकिस्तान सीमा पर होने वाले तनाव की कहानी बनके रह गई हैं।
हालांकि फिल्म में युद्ध नहीं दिखाया गया है। ये दिखाया गया है कि कैसे दोनों देशों के बीच सीज फायर के दौरान भी गोलाबारी होती रहती है और इसी दौरान बंकरों में रहते हुए सीमा की निगरानी करने वाले जवान भी दुश्मन की गोलियों के शिकार हो जाते हैं। होता ये है कि जम्मू और कश्मीर के पूंछ के इलाके में तैनात लेफ्टिनेंट विक्रम सिंह भारतीय सेना के कुछ जवानों के साथ तैनात था। लेकिन पाकिस्तानी घुसपैठिए इस बंकर को हथियाना चाहते हैं।
विक्रम सिंह अपने साथियों के साथ बहादुरी से उनका मुकाबला करता है। इस दौरान उसे अपनी पत्नी स्वरा (अरिंधिता कालिता) और अपनी नन्ही सी बच्ची की यादें भी आती रहती है। फिल्म याद और लड़ाई के बीच झूलती रहती है।
निर्देशक का अभिप्राय ये है जो जवान सेना पर युद्ध लड़ते हैं और अपनी जान देते हैं और उनके बारे में ये बात भुला दी जाती है कि उनका भी एक परिवार था, पत्नी थी और बच्चे थे। और जब सीमा पर कोई जवान मारा जाता है तो क्या ये याद नहीं रखना चाहिए कि उनके परिवार ने भी बहुत कुछ खो दिया है। दिक्कत ये है कि फिल्म की कहानी इतनी एकांगी हो गई है इसे बनाने का मकसद अधूरा रह जाता है।
फिल्म का नाम: बंकर
स्टार रेटिंग: (1 ½*)
फिल्म निर्देशक- जुगल राजा
फिल्म के कलाकार- अभिजीत सिंह, अरिंदिता कालिता, अरनव तिमसीनिया