Baaghi टाइगर श्राफ की दूसरी फिल्‍म है। फिल्‍म में टाइगर पूरे शरीर के वजन को हथेलियों पर बैलेंस करते उल्‍टे नजर आते हैं। इतना फिट कलाकार जिसका अपने शरीर पर इतना जबरदस्‍त नियंत्रण है, उसे देखना काफी आनंद देने वाला है। यही फिल्‍म का सबसे प्रभावशाली सीन है। टाइगर जहां भी आते हैं, वे अपने हाथों, पैरों, सिर सबका इस्‍तेमाल करते नजर आते हैं। टाइगर के एक्‍शन में रफ्तार के साथ नियंत्रण भी है। जब वे एक्‍शन में हों तो कमाल लगते हैं।  जब वे ‘एक्‍ट‍िंग’ करते हैं तो यह साफ पता चल जाता है कि वे नौसीखिए हैं। हालांकि, वे इस कमी को भरने की भरपूर कोशिश करते हैं। ऐसा तब है जब उन्‍हें फिल्‍म में बागी की तरह बर्ताव करने के लिए मजबूर किया गया है क्‍योंकि फिल्‍म का शीर्षक यही है।

रॉनी (टाइगर श्रॉफ) केरल के एक मार्शल आर्ट स्‍कूल पहुंचता हैं। यहां वह अपनी कमियों को दूर करने आया है। यहां वह लक्ष्‍यहीन बागी से एक मकसद वाले बागी में तब्‍दील होता है। ऐसा हम अब तक कई फिल्‍मों में देख चुके हैं। हालांकि, फिल्‍म में ऐसा बहुत कुछ है, जो हमें बांधे रखता है। मसलन-एक सख्‍त ‘गुरु’ जो युवा नायक को अपनी कड़ी ट्रेनिंग से गुजारता है।

इंटरवल के बाद, फिल्‍म ढलान की ओर आ जाती है। खूबसूरत केरल से लेकर बैंकॉक तक में फिल्‍माए गए उधारी के एक्‍शन सीन्‍स (फिल्‍म एक इंडोनेशियन एक्‍शन फिल्‍म और एक तेलुगु मूवी पर आधारित है) दर्शकों पर भारी पड़ने लगते हैं। फिल्‍म में बुरे शख्‍स का किरदार तेलुगु स्‍टार सुधीर बाबू ने निभाया है। फिल्‍म में वे भी मार्शल आर्ट चैंपियन बने हैं। उनकी नजर सिया (श्रद्धा) पर है। सिया, जिसे रॉनी पसंद करता है। विलेन के पास गुंडों की फौज है। सभी को रॉनी से भिड़ने के लिए छोड़ दिया जाता है।

यहीं पुराना और बासी पड़ चुका फॉर्मूला दोहराया जाता है। अच्‍छा शख्‍स बुरे लोगों से एक ‘खुशमिजाज’ लड़की के लिए भिड़ जाता है। एक ऐसी लड़की, जिसे डांस करना और बारिश में भीगना पसंद है। उसका एक पिता है, जो एक जिम्‍मेदार पिता के बजाए जोकर नजर आता है। पिता का यह किरदार टीवी कलाकार सुनील ग्रोवर ने निभाया है। लड़की की एक मां और दादी भी हैं, लेकिन फिल्‍म में वे निरर्थक हैं। बहुत सारे कॉमेडियन नजर आते हैं, लेकिन वे कॉमेडी के बजाए खीझ पैदा करते हैं। इससे फिल्‍म की रफ्तार धीमी होती है।

श्रद्धा कपूर छरहरी और खूबसूरत हैं। उन्‍होंने बारिश में ‘छमछम’ करने के अलावा राउंडकिक और घूंसे भी बेहद काबिलियत के साथ इस्‍तेमाल किए हैं। हालांकि, उन्‍हें बॉलीवुड की पारंपरिक हीरोइनों की तरह ही दिखाया गया है, जैसी 70 या 80 के दशक में हुआ करती थीं। बस उन्‍हें टाइगर की पहली फिल्‍म ‘हीरोपंथी’ की एक्‍ट्रेस की तरह बालों से नहीं घसीटा जाता, लेकिन वे विलेन के घर में बनावटी मुस्‍कुराहट बिखेरती, कभी हंसती तो कभी चीखती नजर आती हैं।

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हमारे पास एक नया हीरो है, जिसके पास दिखाने के लिए एक बेहद खूबसूरत शरीर है और वो चौंकाने वाले एक्‍शन सीन्‍स भी आसानी से कर सकता है। उसे लेकर ढर्रे से हटकर कोई ऐसी फिल्‍म क्‍यों नहीं बनाई जाती, जिसमें ताजगी हो। मैंने पहला हाफ एंजॉय किया, लेकिन काफी लंबे खींचे गए दूसरे हाफ में उबासियां आती हैं।

स्‍टारकास्‍ट: टाइगर श्राफ, श्रद्धा कपूर, सुधीर बाबू, सुनील ग्रोवर
डायरेक्‍टर: सब्‍बीर खान

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