वैदिक पंचांग के अनुसार आषाढ़ के महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस साल यह 24 जून को पड़ रही है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना की जाती है। विष्णुपुराण के अनुसार इस व्रत को रखने से 88 हजार ब्राह्राणों को भोजन करने के बराबर पुण्य मिलता है। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त और महत्व…
क्यों खास होती है योगिनी एकादशी:
योगिनी एकादशी के बाद देवशयनी एकादशी मनाई जाती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु 4 महीनों के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। इसलिए योगिनी एकादशी को महत्वपूर्ण समझा जाता है।
सर्वार्थ सिद्धि योग का हो रहा है निर्माण:
वैदिक पंचांग के अनुसार योगिनी एकादशी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए हर कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। उदयातिथि के मुताबिक, व्रत 24 जून रखा जायेगा और योगिनी एकादशी व्रत का पारण 25 जून, शनिवार को किया जाएगा।
एकादशी तिथि शुरू : जून 23, 2022 को रात 09 बजकर 40 मिनट पर आरंभ
एकादशी तिथि समाप्त : जून 24, 2022 को रात 11बजकर 13 मिनट पर खत्म
पारण का समय : 25 जून सुबह 05 बजकर 52 मिनट से 8 बजकर 32 मिनट पर
योगिनी एकादशी का महत्व:
योगिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि का वास होता है। साथ ही भगवान विष्णु जी के साथ- साथ मां लक्ष्मी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार योगिनी एकादशी व्रत करने से मृत्यु के बाद नरक लोक के कष्टों को नहीं भोगना पड़ता है। योगिनी एकादशी का व्रत श्रद्धापूर्वक करने से व्यक्ति के कुष्ठ रोग या कोढ़ पूरी तरह ठीक हो जाते हैं और अनजाने में किए गए पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
जानिए पूजा विधि:
इस दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें या घर में गंगाजल मिलकार स्नान करें। इसके बाद पूजा स्थल पर बैठे और मंदिर में दीपक जलाएं। फिर भगवान विष्णु का गंगाजल से अभिषेक करने के बाद भगवान को फूल और तुलसी दल अर्पित करें। इसके बाद भगवान विष्णु को सात्विक चीज़ों का भोग लगाएं। भोग में तुलसी दल अवश्य डालें। इसके बाद भगवान विष्णु की आरती करें और विष्णु सहस्रनाम का जाप करें। ऐसा इसलिए चूंकि कहा जाता है कि विष्णु सहस्रनाम का जाप करने वाले मनुष्य पर भगवान की विशेष कृपा होती है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा करें।
