Good Luck After marriage: भाग्य और मेहनत दो चीजें हैं जिनके पास हैं वह जीवन में कामयाब होते हैं। मेहनत तो आपकी अपनी चीज होती है लेकिन किस्मत हर व्यक्ति की अपनी नहीं होती है। कुछ लोगों की किस्मत उनके बच्चों से तो किसी की माता-पिता से जबकि कुछ लोगों की जीवनसाथी से जुड़ी होती है। आपने देखा भी होगा कि कुछ लोग खूब संघर्ष कर रहे होते हैं लेकिन विवाह के बाद उनके जीवन में अचानक से बदलाव होते हैं और किस्मत उन पर मेहरबान हो जाती है। कई लोगों की शादी बाद जॉब लगती है और व्यापार अच्छा चलने लगता है।
ज्योतिषशास्त्र में व्यक्ति की कुंडली में नवम भाव को भाग्य स्थान बताया गया है और सप्तम स्थान वैवाहिक जीवन को दर्शाता है। कुंडली के इन्हीं दोनों घरों के विश्लेषण से पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति का भाग्योदय शादी के बाद होगा या नहीं। इसके साथ ही कुंडली में कुछ ऐसे ग्रह योग होते हैं जो शादी के बाद भाग्योदय का इशारा करते हैं। आइए जानते हैं कुंडली के वह कौन से योग हैं जो शादी के बाद व्यक्ति का भाग्योदय कराते हैं…
1- जिस व्यक्ति की कुंडली में सप्तम भाव, सप्तम भाव का कारक ग्रह, एवं सप्तमेश की स्थिति बलवान है, ऐसे व्यक्ति का भाग्योदय विवाह के बाद होता है। ऐसे व्यक्ति का विवाह बाद व्यापार में अचानक से धनलाभ होता है। साथ ही ऐसे लोग जीवनसाथी के सहयोग से खूब धनलाभ कराते हैं।
2- यदि व्यक्ति की कुंडली में सप्तमेश यानी सातवें घर का स्वामी जैसे मेष राशि में सातवें घर का स्वामी शुक्र होगा। अगर इनकी कुंडली में शुक्र अपनी उच्च राशि यानी मीन में हों। स्वराशि यानी तुला या वृष में और शुक्र की दृष्टि भाग्य या विवाह स्थान पर हो तब विवाह के बाद व्यक्ति की किस्मत के दरवाजे खुल जाते हैं।
3- सप्तमेश और नवमेश यानी भाग्येश का राशि परिवर्तन भी लाइफ में जीवनसाथी के आगमन के बाद विशेष भाग्योदय करवाने वाला होता है। इस गणना के हिसाब से अगर कुंडली में सातवें स्थान में जो राशि है उसका स्वामी ग्रह नवम भाव में और नवम भाव में जो राशि है उसका स्वामी ग्रह सातवें घर में आ जाए तो इस तरह का शुभ योग बनता है जो विवाह के बाद भाग्योदय कारक होता है।
4- शुक्र का दशमेश और भाग्येश के साथ होना भी जीवनसाथी के भाग्य से सफलता और भाग्योदय करवाता है। यानी कुंडली के नवम भाव में जो राशि है उसका स्वामी ग्रह और नवमें घर में जो राशि है उसका स्वामी ग्रह अगर कुंडली में साथ हो तब विवाह के बाद भाग्योदय योग बनता है। (यह भी पढ़ें)- अनुसार करें भोलेनाथ का रुद्राभिषेक, सभी मनोकामनाएं होंगी पूरी
5- व्यक्ति की कुंडली में सप्तमेश का नवम या दशम भाव में स्थित होना या सप्तमेश का नवम या दशम भाव को देखना भी विवाह उपरांत विशेष सफलता और भाग्योदय देता है। ऐसे लोग जीवनसाथी की मदद से व्यापार में खूब लाभ कमाते हैं।
6- सप्तम स्थान के कारक गुरु और शुक्र बली अवस्था में हो। साथ ही सप्तम स्थान या सप्तमेश को प्रभावित करें, तो व्यक्ति का विवाह के बाद भाग्योदय होता है।
7- सप्तमेश का धन स्थान या लाभ स्थान पर स्थित होकर शुभ ग्रहों के प्रभाव में होना विवाह उपरांत भाग्योदय करवाता है। ऐसे व्यक्ति का जीवनसाथी या तो धनी घर से सम्बंध रखता है या बड़ा ही भाग्यशाली होता है। (यह भी पढ़ें)- Maha Shivratri 2022: महाशिवरात्रि पर करियर के अनुसार धारण करें ये रुद्राक्ष, लग सकती है बड़ी सफलता हाथ