मां यशोदा का जन्म दिवस हिंदू पंचाग के अनुसार फाल्गुन माह की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। इस पर्व को उल्लास के साथ दक्षिण भारत, महाराष्ट्र, और गुजरात में यशोदा जयंती के रुप में मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष षष्ठी की तिथि 5 फरवरी को सुबह 8 बजकर 5 मिनट से शुरु हो जाएगी और 6 फरवरी सुबह 8 बजे तक रहेगी। 5 फरवरी को सूर्योदय पहले हो रहा है जिस कारण से यशोदा जयंती 6 तारीख को मनाई जाएगी। भगवान कृष्ण की माता यशोदा वात्सल्य की देवी हैं। उनके नाम का अर्थ यश और हर्ष देने वाली माना जाता है।
माता यशोदा के जन्मदिन के लिए शास्त्रों में प्रचलित कथा के अनुसार एक समय माता यशोदा ने भगवान विष्णु के लिए तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर विष्णु ने वरदान मांगने के लिए कहा। माता ने कहा कि मेरी इच्छा है कि आप मुझे पुत्र के रुप में प्राप्त हों। भगवान ने प्रसन्न होकर उन्हें कहा कि आने वाले समय में वासुदेव और देवकी माता के घर मैं जन्म लूंगा लेकिन मुझे माता का सुख आपसे प्राप्त होगा। भगवान विष्णु के कहे अनुसार वही हुआ और भगवान कृष्ण देवकी माता और वासुदेव की आठवीं संतान के रुप में जन्में। कंस आकाशवाणी के कारण जानता था कि उसका वध देवकी और वासुदेव की संतान के हाथों लिखा है।
कंस ने अपनी बहन और उसके पति को कारावास में बंद कर दिया। कृष्ण का जन्म हुआ तो वासुदेव उन्हें नंद बाबा और यशोदा माता के घर छोड़ आए जिससे उनका जीवन सुरक्षित रहे। माता यशोदा और कृष्ण का प्रेम हर जगह वर्णित मिलता है। कृष्ण कभी माखन चोर बने तो कभी राक्षसों का वध किया। यशोदा माता को अपने मुख में पूरे ब्राह्मण के दर्शन करवा दिए। इन्हीं लीलाओं से माता यशोदा को अहसास हुआ कि उनका पुत्र भगवान विष्णु का ही रुप है। इस दिन माता यशोदा और भगवान कृष्ण के पूजन से निसंतान दंपत्ति को संतान सुख प्राप्त होता है।