हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है। हर शुभ और मांगलिक कार्यों के लिए इस तिथि को बहुत शुभ माना जाता है। यही वजह है कि लोग अक्षय तृतीया के दिन विवाह, गृह प्रवेश, नया व्यापार, धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-पाठ आदि करते हैं। वहीं सोना खरीदने के लिए यह तिथि सबसे शुभ मानी जाती है। मां लक्ष्मी की पूजा करने से कृपा बरसती है। जीवन धन-धान्य से भरपूर होता है। इस दिन सुबह स्नान करके मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने से समृद्धि आती है।
अक्षय तृतीया पर मां लक्ष्मी को गुलाबी फूल और नई स्फटिक की माला अर्पित करें। यदि नई माला न मिले तो पुरानी माला को गंगाजल में धोकर अर्पित कर सकते हैं। अक्षय तृतीया पर कुछ उपाय भी बेहद शुभ फल देने वाले होते हैं।
सुखी वैवाहिक जीवन के लिए अक्षय तृतीया के दिन मां गौरी और भगवान शिव की उपासना करें। इस दिन संपूर्ण शिव परिवार की उपासना करना भी काफी शुभ होता है। पूजा के दौरान फूलों की एक माला इस तरह से अर्पित करें कि वह मां गौरी और भगवान शिव के गले में आ जाए। साथ ही इस दिन स्त्रियां मां गौरी को सिंदूर अर्पित कर ऊं गौरीशंकराय नम: मंत्र का 108 बार जाप करें और मां गौरी को अर्पित किए सिंदूर को सुरक्षित रख लें। इसके बाद नियमित रूप से स्नान के बाद इस सिंदूर का प्रयोग करें। इससे वैवाहिक जीवन सुखी होगा। पुरुष केवल पूजा करने के बाद मां गौरी और भगवान शिव से प्रार्थना करें। इससे वैवाहिक जीवन हंसी-खुशी बीतेगा।
कई स्थानों में इसे आखा तीज भी कहा जाता है। इस साल अक्षय तृतीया मंगलवार, 03 मई को मनाई जाएगी। इस दिन बिना मुहूर्त देखे कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं। इसके अलावा अक्षय तृतीया मंगल रोहिणी नक्षत्र के शोभन योग में है, जो तैतिल करण और वृषभ राशि के चंद्रमा के साथ आ रहा है। इस साल अक्षय तृतीय पर्व पर रोहिणी नक्षत्र के कारण मंगल रोहिणी योग बन रहा है।
इस दिन शोभन योग अक्षय तृतीया को शुभ बना रहा है, वहीं 50 वर्ष बाद ग्रहों के विशेष योग से भी अद्भुत संयोग बन रहा है। 30 साल बाद अक्षय तृतीया पर बनने वाला शुभ योग भी इस दिन का महत्व बढ़ा रहा है। 50 साल बाद ऐसा संयोग बनेगा जब दो ग्रह उच्च राशि में और दो प्रमुख ग्रह स्वराशि में स्थित होंगे। इसके अलावा इन ग्रहों की युति से बने अद्भुत योग में दान करना बहुत पुण्य का काम होगा। इस दिन चार ग्रहों की अनुकूल स्थिति में होना इस पर्व को और भी खास बनाता है। इस दिन कोई भी शुभ कार्य करना शुभ फल देगा। शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं है।
इस पर्व के अवसर पर प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बदरी नारायण के कपाट खुलते हैं और वहां पूजा-अर्चना शुरू हो जाती है। वहीं इसी दिन वृंदावन के श्री बांके बिहारी जी मंदिर में श्री विग्रह के चरण दर्शन किए जा सकते हैं।