भगवान श्रीकृष्ण और राधा का अलौकिक प्रेम जगजाहिर है, लोग उनके पवित्र प्रेम की मिसाल देते हैं। लेकिन यह भी सच है कि श्रीकृष्ण को सिर्फ राधा ही नहीं बल्कि हर वो इंसान प्रिय है जो उन्हें पुकारता है चाहे वो मीरा हो, द्रोपदी हो या फिर कोई गोपी। श्रीमद्भागवत गीता में श्रीकृष्ण की तमाम लीलाओं का वर्णन है जिनमें से उनकी एक लीला यह भी है जिसमें उन्होंने एक साथ 16 हजार कन्याओं के साथ विवाह किया था। यहां हम आपको इसी लीला के पीछे की एक दिलचस्प कहानी बता रहे हैं।
दरअसल, ये वो कन्याएं थीं जिन्हें एक राक्षस ने कैद कर रखा था। इस राक्षस ने इन कन्याओं के साथ बहुत अत्याचार किया था। बताया जाता है कि नरकासुर नाम के राक्षस ने अमरत्व पाने के लिए 16 हजार कन्याओं की बलि देने के लिए कैद किया था। जब भगवान को इस बात की भनक लगी तो वह राक्षस की नगरी जा पहुंचे और सभी कन्याओं को छुड़ाकर उनसे विवाह रचाया। अब सवाल ये है कि आखिर प्रेमिका राधा और 8 पटरानियां होते हुए भी भगवान ने क्यों इन कन्याओं से विवाह रचाया था।
पत्नी सत्यभामा की मौजूदगी में रचाए थे 16 हजार विवाह
भागवत गीता के अनुसार प्रागज्योतिषपुर नगर के राजा नरकासुर नामक दैत्य ने अपनी मायाशक्ति से इंद्र, वरुण, अग्नि, वायु आदि सभी देवताओं को परेशान कर रखा था। वह संतों को भी त्रास देने लगा था। उसने राज्यों की राजकुमारियों और संतों की स्त्रियों को भी बंदी बना लिया था। जब उसका अत्याचार बहुत बढ़ गया तो देवता व ऋषि मुनि भगवान श्रीकृष्ण की शरण में गए। भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें नराकासुर से मुक्ति दिलाने का आश्वसान तो दे दिया लेकिन इस राक्षस को स्त्री के हाथों मरने का श्राप था। इसीलिए श्रीकृष्ण राक्षस का संहार करने के लिए अपनी पत्नी सत्यभामा को सारथी बनाकर ले गए और उसका वध कर सभी कैद कन्याओं को मुक्त कराया। तभी ये सभी 16 कन्याएं श्रीकृष्ण से कहने लगीं कि आपने हमें मुक्त तो कराया लेकिन अब हम जाएंगे कहां क्योंकि इस राक्षस ने हमारे परिजनों को पहले मार दिया है। इनमें से कुछ कन्याओं के परिजन जिंदा थे जो उन्हें चरित्र के नाम पर अपनाने से इंकार कर रहे थे। तब भगवान ने इन सभी कन्याओं की व्यथा सुनी और सभी से एक साथ विवाह रचाया। इस दौरान भगवान ने एक साथ 16 हजार रूप रखे थे।
नरकासुर के वध के उपलक्ष्य में ही मनाई जाती है ‘नरक चतुर्दशी’
भगवान कृष्ण ने जिस दिन पत्नी सत्यभामा की सहायता से नरकासुर का संहार कर 16 हजार लड़कियों को कैद से आजाद करवाया था। इस उपलक्ष्य में दिवाली के एक दिन पहले ‘नरक चतुर्दशी’ मनाई जाती है।