हिंदू धर्म में देवी-देवता की उपासना करने की कई सारी विधियां बताई गई हैं। इनमें से ही एक है मंत्र जाप करने की विधि। ऐसा कहा जाता है कि मंत्रों का जाप करने से ईश्वर बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और उनकी कृपा बरसती है। आपने लोगों को मंत्रों का जाप करते समय माला फेरते हुए देखा होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मंत्रों का जाप करते समय माला का प्रयोग क्यों किया जाता है। यदि नहीं तो आज हम आपको इस बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। मालूम हो कि माला को श्रद्धा और भक्ति का बंधन कहा जाता है। यानी कि माला हमारी श्रद्धा और भक्ति को ईश्वर से जोड़कर रखती है।
कहते हैं कि माला लेकर मंत्रों का जाप करने से ईश्वर की आराधना काफी सरल हो जाती है। मंत्रों का जाप करते समय रूद्राक्ष माला, तुलसी माला या फिर मोती की माला का प्रयोग किया जाता है। कहते हैं कि मंत्र जाप में माला का प्रयोग इसलिए किया जाता है ताकि मंत्रों की संख्या में गलती ना हो। ऐसी मान्यता है कि यह माला भक्त को सीधे ईश्वर से जोड़ती है। और ईश्वर भक्त की आराधना से प्रसन्न होकर उसकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
बता दें कि मंत्र जाप के अनुसार ही माला का चयन किया जाता है। कहते हैं कि उपयुक्त माला का चुनाव करने पर मनचाहा फल मिलता है। यह नियम है कि माला के मनको की संख्या 27 या 108 होनी चाहिए। इसके साथ ही हर मनके के बाद एक गांठ का होना जरूरी बताया गया है। ऐसा भी नियम है कि मंत्र जाप के समय माला किसी वस्त्र से ढकी हुई होनी चाहिए। मंत्र जाप से पहले माला हाथ में लेकर प्रार्थना करने की बात कही गई है। सबसे जरूरी यह बताया गया है कि माला हमेशा व्यक्तिगत होनी चाहिए।
