भगवान गणेश को एकदंत कहा जाता है। क्योंकि गणेश जी का एक दांत टूटा हुआ है। लेकिन उनके एक दांत के टूटने के पीछे की कहानी बड़ी ही रोचक है। इस संदर्भ में कई प्रसंग प्रचलित हैं। इनमें से एक प्रसंग गणेश और परशुराम से जुड़ा हुआ है। इस प्रसंग के मुताबिक, एक बार परशुराम भगवान शंकर से मिलने कैलाश पर्वत पहुंचे। गणेश जी वहां द्वार पर ही खड़े थे। और उन्होंने परशुराम को अंदर जाने की अनुमति नहीं दी। परशुराम गणेश से विनती करने लगे कि उन्हें शिव से मिलने दें। लेकिन गणेश जी नहीं माने। इस पर परशुराम को क्रोध आ गया। उधर, गणेश जी ने परशुराम को युद्ध की चुनौती दे डाली। गणेश और परशुराम के बीच लड़ाई शुरू हो गई। परशुराम ने फरसे से वार करके गणेश जी का एक दांत तोड़ डाला। इसके बाद से ही गणेश को एकदंत कहा जाने लगा।
गणेश जी को एकदंत कहे जाने को लेकर एक अन्य प्रसंग भी प्रचलित है। यह प्रसंग गणेश और उनके बड़े भाई कार्तिकेय से जुड़ा हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि गणेश जी अपने बचपन में बहुत ही शैतानी किया करते है। वहीं, कार्तिकेय को काफी मृदुल स्वभाव का बताया गया है। शिव और पार्वती भी गणेश जी की अति चंचलता को लेकर परेशान हो जाया करते थे। साथ ही गणेश कार्तिकेय को काफी तंग करते थे।
कार्तिकेय गणेश की शरारतों को काफी समय तक बर्दाश्त करते रहे। लेकिन गणेश अपनी शरारतों से बाज नहीं आए। एक दिन कार्तिकेय ने गणेश जी को सबक सिखाने का मन बना लिया। और उन्होंने गणेश की पिटाई कर दी। कहते हैं कि इसी पिटाई में गणेश जी का एक दांत टूट गया। इस घटनाक्रम के बाद से ही गणेश जी एकदंत के रूप में जाना जाने लगे।