गणेश जी को कामनाओं की पूर्ति करने और विघ्नों का विनाश करने के लिए माना जाता है। सभी देवों में सबसे जल्द प्रसन्न होने वाले गणेश जी हैं। भगवान गणेश बुद्धि के अधिष्ठाता और साक्षात् प्रणव रूप हैं। इन्हें विघ्नहर्ता और ऋद्धि-सिद्धि का स्वामी भी कहा जाता है। इसलिए हिन्दू धर्म के अनुसार किसी काम को करने से पहले या किसी नए कार्य की शुरुआत से पूर्व गणेश जी की पूजा करना आवश्यक माना गया है। इसके अलावा गणेश जी को सभी देवों में सबसे अधिक बुद्धिमान माना जाता है। क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों है? यदि नहीं तो जानिए यह प्रसंग।

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार देवी पार्वती नहाने के लिए गई और उन्होंने दरवाजे पर बैठा दिया। साथ ही पार्वती जी ने उन्हें यह भी निर्देश दिया कि कोई अंदर प्रवेश न करे। कुछ समय के बाद भगवान शिव वहां पहुंचे और अंदर जाने लगे। जिसके बाद गणेश जी ने उन्हें अंदर जाने से रोका। जिस पर भगवान शिव क्रोधित अवस्था में आ गए और गणेश जी का सिर काट दिया।

गणेश जी की चीख सुनकर माता पार्वती वहां आई और गणेश की दुर्दशा देखकर उग्र हो गई। जिसके बाद देवी पार्वती ने भगवान शिव से कहा कि यदि वे अपने पुत्र को वापस नहीं पाई तो वह दुनिया का नाश कर देंगी। तब भगवान शिव ने एक हाथी के बच्चे के सिर को गणेश जी के सिर पर लगाकर उन्हें जीवित किया। जब पार्वती जी ने अपने पुत्र की ऐसी हालत देखी तो पार्वती अत्यधिक दुखी हो गई। तब भगवान शिव ने माता पार्वती को वचन दिया कि गणेश जी को दिव्य शक्ति प्रदान करेंगे जिससे वो सबसे बुद्धिमान माने जाएंगे।