हिंदू धर्म में कई सारे देवी-देवता हैं। इन सभी देवी-देवताओं की अलग-अलग मौकों पर विशेष पूजा-अर्चना होती है। इन सबमें गणेश बेहद ही खास हैं। दरअसल किसी भी शुभ काम जैसे कि शादी-विवाह या कारोबार की शुरुआत से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। मान्यता यह है कि शुभ कार्य की शुरुआत से पहले गणेश जी की पूजा करने से उस काम में किसी भी तरह की बाधा उत्पन्न नहीं होती। माना जाता है कि इस पूजा से वह काम सफलता पूर्वक अपने अंजाम तक पहुंचता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है। यानी कि गणेश जी व्यक्ति के जीवन में आने वाले हर एक विघ्र को हर लेते हैं। और व्यक्ति का जीवन खुशी पूर्वक व्यतीत होता है।
भगवान गणेश की शुभ कार्यों की शुरुआत से पहले पूजा किए जाने के पीछे एक रोचक प्रसंग छिपा हुआ है। इस प्रसंग के मुताबिक समस्त देवताओं में एक बार इस बात पर विवाद उत्पन्न हुआ कि धरती पर किसकी पूजा सबसे पहले की जाए। हर एक देवता खुद को सर्वश्रेष्ठ समझते थे। इस समस्या का समाधान निकालने के लिए सभी लोग भगवान शंकर के पास गए। इस पर शंकर जी ने कहा जो भी सर्वप्रथम ब्रह्माण्ड की परिक्रमा कर उनके पास पहुंचेगा, वही सर्वप्रथम पूजनीय माना जाएगा।
सभी देवता अपने-अपने वाहन पर सवार होकर ब्रह्माण्ड की परिक्रमा पर निकल पड़े। लेकिन गणेश जी ब्रह्माण्ड के चक्कर लगाने की बजाय अपने माता-पिता शिव-पार्वती की सात परिक्रमा पूर्ण कर उनके सम्मुख हाथ जोड़कर खड़े हो गए। ब्रह्माण्ड की परिक्रमा पूरी करके सभी देवताओं के लौटने पर शिव जी ने गणेश को विजेता घोषित कर दिया। और कहा कि माता-पिता को समस्त ब्रह्माण्ड एवं समस्त लोक में सर्वोच्च स्थान दिया गया है, जो देवताओं व समस्त सृष्टि से भी उच्च माने गए हैं। इस घटनाक्रम के बाद सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाने लगी।
