हनुमान जी के पंचमुखी स्वरूप के बारे में प्रायः लोग जानते हैं। अधिकांश मंदिरों में हनुमान जी का एकमुखी रूप ही देखने को मिलता है। कुछ स्थानों पर हनुमान जी अपने पंचमुखी स्वरूप में भी विराजते हैं। कहते हैं कि इनके इस स्वरूप की आराधना करने से जीवन के कष्टों का निवारण होता है। हनुमान जी के इस स्वरूप के बारे में आज भी शायद बहुत कम लोग जानते होंगे। क्या आप जानते हैं कि आखिर हनुमान जी ने अपना पंचमुखी स्वरूप क्यों बनाया? जानते हैं वह प्रसंग जब हनुमान जी ने पंचमुखी रूप बनाया।

रामायण के अनुसार श्री राम और रावण के बीच हुए युद्ध में रावण की मदद के लिए उसके भाई अहिरावण ने ऐसी माया रची कि सारी सेना गहरी नींद में सो गई। जिसके बाद अहिरावण राम और लक्ष्मण को नींद की अवस्था में ही पाताल ले गया। इस विपदा के समय में सभी ने संकट मोचन हनुमानजी का स्मरण किया। हनुमान जी तुरंत पाताल लोक पहुंचे और द्वार पर रक्षक के रूप में तैनात मकरध्वज से युद्घ कर उसे पराजित किया। जब हनुमान जी पातालपुरी के महल में पहुंचे तो श्रीराम और लक्ष्मण बंधक बने हुए थे।

हनुमान ने देखा कि वहां चार दिशाओं में पांच दीपक जल रहे थे और मां भवानी के सामने श्रीराम और लक्ष्मण की बलि देने की पूरी तैयारी थी। अहिरावण का अंत करने के लिए इन पांच दिए को एक साथ एक ही समय में बुझाना था। यह रहस्य पता चलते ही हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धारण किया। उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरूड़ मुख,आकाश की ओर हयग्रीव मुख और पूर्व दिशा में हनुमान मुख। फिर सारे दीपकों को बुझाकर उन्होंने अहिरावण का अंत किया।