भारतीय संस्कृति में शादी सिर्फ एक परंपरा ही नहीं उससे बढ़कर एक जीवन के रुप में माना जाता है। शादी को एक उत्सव के रुप में मनाया जाता है। इसमें अनेकों तरह की परंपराएं होती है जिसमें से एक होती है बेटी की विदाई। विदाई के दौरान बेटी पीछे की तरफ चावल फेंकती है और माता-पिता या घर का कोई बड़ा उसे झोली में इकठ्ठा करता है। इस रस्म को हर कोई निभाता है लेकिन इसे क्यों किया जाता है ये शायद ही कुछ लोग जानते होंगे। स्थान के अनुसार इस रस्म को करने के तरीके बदल जाते हैं लेकिन इस रस्म को शादी में एक महत्वपूर्ण रस्म माना जाता हैं।

– दुल्हन की विदाई के समय वो अपने हाथों में चावल या चावल के साथ बताशे मिलाकर पीछे की तरफ फेंकती है और उसके विदा होने के बाद अन्न पूरे घर में डाला जाता है। इस रस्म के लिए मान्यता है कि इससे घर की बेटी जिसे लक्ष्मी माना जाता है उसके जाने के बाद भी घर में अन्न-धन की कमी नहीं रहे।
– इसी के साथ शादी के बाद जब बहु अपने घर पहुंचती है तो दरवाजे पर पूजा के समय नवविवाहित जोड़े पर चावल डाले जाते हैं। इसका अर्थ होता है कि जोड़े के जीवन में हमेशा खुशहाली और समृद्धि बनी रहे। इसी के साथ माना जाता है कि चावल फेंकने से जोड़े को संतान सुख मिलता है। साथ ही भाग्य की बढ़ोतरी के लिए ये रस्म अदा की जाती है।

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– कई लोग वधु की झोली में हल्दी और चावल डालते हैं, जिसका अर्थ होता है कि लक्ष्मी के आने से सुख-समृद्धि बनी रहे।
– बेटी की विदाई के समय चावल फेंकने का अर्थ ये भी माना जाता है कि वो अपने माता-पिता का धन्यवाद कर रही है। इसके साथ ये भी माना जाता है कि वो अपने जीवन से सभी नकारातमकता फेंक रही है जिससे नए जीवन में सिर्फ खुशहाली रहे।