इस्लाम में अजान को खास महत्व दिया गया है। इस्लाम यह मानता है कि हर मुसलमान को अजान पढ़ना चाहिए। इसलिए इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार मुस्लिम समुदाय अपने दिन भर की पांचों नमाजों को बुलाने के लिए ऊंचे स्वर में जो शब्द कहे जाते हैं, उन्हें अजान कहते हैं। इसे मुसलमान लोग दिन भर में पांच बार अदा करते हैं। परंतु क्या आप जानते हैं कि अजान को इस्लाम में क्यों खास माना गया है? साथ ही इसका वास्तविक मतलब क्या होता है? यदि नहीं! तो आगे इसे जानते हैं।
इस्लाम के अनुसार रोजाना जो अजान दी जाती है वह है- “अल्लाह हु अकबर, अल्लाह हु अकबर, अल्लाह हु अकबर”। इसका मतलब होता है कि अल्लाह सबसे बड़ा है। मुहम्मद साहब के अनुसार जब कोई अजान दे तो आम मुस्लिम को चाहिए कि वह भी इसे दुहराता जाए। अजान में मुअज़्ज़िन कहता है कि मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह के सिवा किसी और की इबादत नहीं की जानी चाहिए। उसके बाद अजान में मुअज़्ज़िन कहता है कि मैं गवाही देता हूं मुहम्मद सल्लम अल्लाह के दूत हैं, वो अल्लाह के बेटे नहीं हैं।
इसके बाद मुअज़्ज़िन कहता है कि आओ तुम सब मिलकर अब उस अल्लाह की इबादत सलाह के तरीके से करने के लिए। उसके बाद मुअज़्ज़िन कहता है अगर तुम समझते हो कि दुनिया में बिजनेस से कामयाब होगे तो असल कामयाबी ये नहीं है। असल कामयाबी तो ये है कि जिसने तुम्हें पैदा किया अब उसके इबादत का वक्त आ गया है। इसके बाद उस तमाम इंसान को कहता है तुम लोग आते हो अल्लाह के लिए, इबादत को आओ या न पर अल्लाह सबसे बड़ा और शक्तिशाली है।