Gemstone Benefits: किसी भी व्यक्ति के जीवन में कई बातें बेहद मायने रखती हैं, रत्न भी लोगों की जिंदगी को काफी प्रभावित करती है। रत्न विज्ञान में रत्नों की खूबियों और खामियों पर बात की जाती है। हालांकि, किसी भी रत्न को पहनने से पहले पूरी तरह उसके बारे में जान लेना जरूरी होता है। जानकार बताते हैं कि अगर रत्न धारण करने के दौरान सावधानी न बरती जाए तो लोगों को नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।
नवरत्नों में शामिल मोती गोल और सफेद रंग का होता है जिसके बारे में कहा जाता है कि वो समुद्र में सीपियों से प्राप्त होता है। बताया जाता है कि मोती का स्वामी चंद्रमा होता है, ये रत्न विशेष रूप से कर्क राशि वालों के लिए लाभकारी होता है।
किन लोगों को मोती धारण करने की सलाह दी जाती है?: ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि जिन लोगों का मन विचरते रहता है या फिर शांति के लिए मोती धारण करना चाहिए। मान्यता है कि सफेद मोती पहनने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं, ऐसे में जो लोग धन की कमी से जूझ रहे हैं उन्हें भी मोती पहनने से लाभ होगा। इसके अलावा, इसे धारण करने से गुस्सा कम आता है और लोग स्वस्थ भी रहते हैं। यह भी पढ़ें- इस राशि की लड़कियां अच्छी दोस्त होती हैं साबित, मुसीबत में भी खड़ी रहती हैं साथ
राशि का रखें ध्यान: कई लोगों की ऐसी सोच होती है कि सफेद मोती सभी के लिए फायदेमंद होता है। लेकिन इसे पहनने से पहले देख लें कि आपकी राशि कौन सी है। ज्योतिषाचार्य मानते हैं कि सभी रत्न बारहों राशियों के जातकों के लिए शुभ फल देने वाले नहीं होते हैं। रत्नों को धारण करने से पहले इन बातों का ध्यान रखना भी जरूरी है। कर्क राशि के लोगों के लिए जहां मोती पहना अति उत्तम साबित होता है, वहीं वृष, कन्या, मकर और कुंभ लग्न वालों के लिए मोती अच्छा नहीं माना जाता। यह भी पढ़ें- Weekly Rashifal (12 To 18 July): यह हफ्ता किस राशि वालों के लिए रहेगा शुभ, किन्हें मिलेगी करियर में तरक्की, जानिये
क्या बरतें सावधानी: रत्न विज्ञान के विशेषज्ञों का मानना है कि जो लोग बेहद भावुक किस्म के होते हैं या जिन्हें जरूरत से ज्यादा गुस्सा आता है, उनके लिए मोती दुष्प्रभाव लेकर आता है। वहीं, बताया जाता है कि मोती को दूसरे रत्न जैसे कि हीरा, पन्ना, नीलम व गोमेद के साथ नहीं पहनना चाहिए।
कैसे और कब पहनें मोती: ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि मोती पहनने से पहले इस गंगाजल से धो लेना चाहिए। फिर भगवान शिव को ये रत्न अर्पित करें और उसके बाद धारण करें। शुक्ल पक्ष के सोमवार की रात को इस रत्न को तर्जनी यानी हाथ की सबसे छोटी उंगली में पहनें।