Sawan 2022 Puja Rules: सावन माह (सावन 2022) आज से शुरू हो रहा है। इस माह में भोले शंकर की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि यह महीना देवताओं के भगवान महादेव को बहुत प्रिय होता है। सावन के महीने में शिव की पूजा करने से वह प्रसन्न होते हैं और भक्त को आशीर्वाद देते हैं।
शिव पुराण की बात करें तो इसमें कई ऐसी बातें बताई गई हैं, जिन्हें कभी भी भोलेनाथ की पूजा में शामिल नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से भगवान शंकर क्रोधित हो जाते हैं, जिससे व्यक्ति को गंभीर नुकसान उठाना पड़ता है। आइए जानते हैं कौन से हैं वो काम, जो इंसान को कभी नहीं करने चाहिए।
पूजा करते समय थाली में भूलकर न रखें सिंदूर
पुराणों में भगवान शिव को संहारक कहा गया है। अर्थात जब संसार पर अत्याचार बढ़ते हैं तो वे अपना तीसरा नेत्र खोलकर उसका नाश कर देते हैं। उन्होंने माता पार्वती से विवाह किया था, लेकिन वे मूल रूप से बैरागी हैं। इसलिए उनकी पूजा की थाली में कभी भी सिंदूर और कुमकुम जैसी सजावट की चीजें रखना मना है। इसलिए पूजा की थाली में इन चीजों को शामिल करना न भूलें।
सावन में शंख रखना या बजाना है वर्जित
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से शंखचूड़ नामक राक्षस का वध किया था। ऐसा माना जाता है कि शंख की उत्पत्ति उनकी राख से हुई थी। इसलिए महादेव की पूजा के दौरान शंख बजाना वर्जित है और न ही शंख से उनका जलाभिषेक किया जाता है। इसका दूसरा कारण यह भी है कि महादेव एक महान तपस्वी हैं, जो सदैव तपस्या में लीन रहते हैं। ऐसे में शोर मचाकर उसकी तपस्या भंग होने का भय बना रहता है।
पूजा थाल में हल्दी रखने से करें परहेज
हल्दी को सौभाग्य और खुशी का प्रतीक माना जाता है। ज्यादातर देवी-देवताओं की पूजा के दौरान थाली में हल्दी जरूर रखी जाती है। लेकिन गलती से भी हल्दी को भोलेनाथ की पूजा की थाली में न रखें। इसका कारण यह है कि भगवान शिव वैरागी हैं और उन्हें हल्दी सहित कोई भी अलंकरण पसंद नहीं है।
तुलसी के पत्ते भी शिवलिंग पर न चढ़ाएं
भगवान शिव से जुड़ी एक कथा के अनुसार उन्होंने तुलसी के पति जालंधर का वध किया था। जिसके बाद तुलसी भगवान शिव से बहुत नाराज हो गईं और उन्होंने श्राप दिया कि यदि कोई भक्त तुलसी को शिव की पूजा की थाली में शामिल करता है, तो उसे बुरा भोगना पड़ेगा। उस दिन के बाद से भोलेनाथ की पूजा की थाली में तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाए जाते।
भोलेनाथ केतकी के फूल नहीं करते अर्पित
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी ने किसी बात पर भगवान शिव से झूठ बोला था। इस कार्य में देवी केतकी ने भी उनका साथ दिया। इससे भोलेनाथ बहुत दुखी हुए और उन्होंने केतकी को श्राप दिया कि उनकी पूजा की थाली में केतकी का फूल कभी नहीं चढ़ाना चाहिए। तब से आज तक शिवलिंग पर केतकी का फूल नहीं चढ़ाया गया।