तीर्थ नगरी हरिद्वार-कनखल भगवान शंकर की ससुराल मानी जाती है। यहां विश्व का पहला शिवलिंग दक्षेश्वर महादेव है परंतु इस तीर्थ नगरी की विशेषता यह है कि इस तीर्थ नगरी ने जहां ऋषि-मुनियों को अपनी ओर आकर्षित किया वहीं बड़े-बड़े राजा महाराजाओं के लिए भी तीर्थ नगरी हरिद्वार-कनखल आकर्षण का प्रमुख केंद्र रही। इतना ही नहीं नेपाल के राजाधिराज को भी तीर्थ नगरी ने अपनी तरफ आकर्षित किया इसलिए उन्होंने नेपाल के काठमांडू में स्थित भगवान पशुपतिनाथ महादेव की स्थापना और मंदिर निर्माण के बाद तीर्थ नगरी हरिद्वार में भी नेपाल की तरह भगवान पशुपतिनाथ का शिवलिंग स्थापित किया और विशाल मंदिर निर्मित किया है।

यहां पर सावन में भक्तों की भीड़ बड़ी तादाद में लगी रहती है। नेपाल के विश्व विख्यात पशुपतिनाथ मंदिर के शिवलिंग कसौटी के जिस पत्थर से बनाए गए थे, उसी तरह नेपाल नरेश ने 200 साल पहले उसी कसौटी के पत्थर से हरिद्वार में पशुपतिनाथ महादेव का शिवलिंग स्थापित किया। 200 साल पहले नेपाली सेना ने जब गढ़वाल की टिहरी रियासत के राजा पर आक्रमण करते हुए हरिद्वार में डेरा डाला था तब खड़खडेश्वर महादेव के मंदिर का निर्माण गोरखों ने हरिद्वार में कराया था। तब श्री निरंजनी पंचायती अखाड़े के विख्यात संत महंत श्रवण नाथ महाराज ने नेपाल नरेश राजाधिराज विक्रम शाह को हरिद्वार आमंत्रित किया और यहां पावन तट पर उनके कर-कमलों से पशुपतिनाथ शिवलिंग की स्थापना करवाई।

यह मंदिर गंगा तट पर श्रवणनाथ मठ के बीचोबीच स्थित है। नेपाल नरेश ने यहां अपना शिलालेख भी लगवाया। यह मंदिर पूर्णरूपेण नेपाल के पशुपतिनाथ का स्वरूप माना जाता है। महंत श्रवण नाथ महाराज के ब्रह्मलीन होने के बाद श्री निरंजनी पंचायती अखाड़ा के महंतों ने महंत श्रवण नाथ महाराज के नाम पर पशुपतिनाथ महादेव मंदिर के इस क्षेत्र का नाम श्रवण नाथ मठ रख दिया। इस पशुपतिनाथ मंदिर का संचालन श्री निरंजनी पंचायती अखाड़ा करता है। सावन के महीने में नाग पंचमी के दिन इस पशुपतिनाथ महादेव मंदिर में रुद्राभिषेक करने का विशेष महत्व माना जाता है। हर साल की तरह इस इस साल भी प्राचीन मंदिर में नाग पंचमी के दिन रुद्राभिषेक किया गया।

श्री निरंजनी पंचायती अखाड़ा के सचिव और श्रवण नाथ मठ के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी महाराज का कहना हैै कि 200 साल पहले नेपाल नरेश ने अखाड़े के महंत श्रवण नाथ महाराज के अनुरोध पर हरिद्वार में गंगा तट पर नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर की तरह ही यहां पर पशुपतिनाथ मंदिर का निर्माण कराया और कसौटी पत्थर से पशुपतिनाथ महादेव के शिवलिंग की स्थापना की मान्यता है कि श्रावण मास में नाग पंचमी के दिन हरिद्वार के इस पशुपतिनाथ महादेव मंदिर में श्रद्धापूर्वक रुद्राभिषेक किया जाता है तो पशुपतिनाथ महादेव कालसर्प दोष से मुक्ति दिलाते हैं।

हरिद्वार में पशुपतिनाथ का यह मंदिर नेपाल और भारत की साझा सनातन संस्कृति का प्रतीक है और यहां भारतीयों के अलावा नेपाल के लोग बड़ी तादाद में पशुपतिनाथ महादेव का जलाभिषेक करने आते हैं और अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर रुद्राभिषेक करते हैं। नेपाल के काठमांडू स्थित पशुपतिनाथ मंदिर की तरह यहां पर नियमित आरती पूजा और पशुपति नात महादेव का रुद्राभिषेक किया जाता है।