वास्तु शास्त्र में इस बारे में भी विस्तार से उल्लेख किया गया है कि घर पर पढ़ाई करते समय हमें किस जगह पर बैठना चाहिए। कहते हैं कि वास्तु में बताई गई सही दिशा में पढ़ाई करने से हमें चीजें जल्दी-जल्दी याद हो जाती है। इसके साथ ही वास्तु में उन जगहों के बारे में भी बताया गया है जहां पर बैठकर पढ़ाई करना ठीक नहीं माना जाता। आज हम इसी बारे में विस्तार से बात करने वाले हैं। ऐसी मान्यता है कि प्रत्येक दिशा हमारी शरीर और मस्तिष्क पर कुछ प्रभाव डालती है। कहते हैं कि इस प्रभाव का हमारी एकाग्रता पर काफी असर पड़ता है। बताया जाता है कि हर दिशा का पृथ्वी के ध्रुवों के कारण एक मैगनेटिक फील्ड होता है। इस मैगनेटिक फील्ड के कारण ही हमें विभिन्न कार्यों की सही दिशा बताई जाती है।
ऐसा कहा जाता है कि हमें भूलकर भी दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके पढ़ाई या फिर चिंतन नहीं करना चाहिए। कहते हैं कि दक्षिण दिशा में पढ़ाई करने से ध्यान काफी ज्यादा भंग होता है। इसके साथ ही गैलरीनुमा जगह पर भी पढ़ाई-लिखाई करने के लिए मना किया गया है। कहा जाता है कि गैलरीनुमा जगह पर भी काफी ध्यान भटकता है। इसके अलावा ऐसी जगह पर पढ़ाई करने की भी मनाही है जहां पर घर का बहुत सारा सामान पड़ा हो।
वास्तु शास्त्र की मानें तो उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में मुंह करके पढ़ना चाहिए। इससे सकारात्मक ऊर्जा मिलने की मान्यता है। इसके साथ ही आप पूर्व दिशा में भी बैठकर पढ़ाई कर सकते हैं। वास्तु में यह भी कहा गया है कि पढ़ाई करने वाली जगह पर सूर्य और हवा की उपस्थिति होनी चाहिए। इसके साथ ही उगते हुए सूर्य की रोशनी में पढ़ना बहुत ही शुभ माना जाता है। कहते हैं उगते सूर्य की रोशनी में पढ़ने से बच्चों की चंचलता दूर होती है।