हिंदू धर्म में पूजा के अंत में आरती करने का प्रावधान है। ऐसा कहा जाता है कि आरती करने से पूजा के दौरान जाने-अनजाने में हुईं श्रुटियां माफ हो जाती हैं। आरती के बाद ही कोई पूजा पूर्ण मानी जाती है। ऐसा भी कहा जाता है कि आरती करने के अलावा उसे देखने से भी पुण्य मिलता है। मान्यता है कि आरती करने या देखने से व्यक्ति के अंदर की बुराइयां समाप्त होती हैं और वह अच्छाइयों के मार्ग पर चलने लगता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आरती करते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए। कहा जाता है कि आरती के दौरान कुछ जरूरी बातों का ध्यान नहीं रखने पर पूजा संपूर्ण नहीं मानी जाती। आइए जानते हैं इस बारे में।
बता दें कि सामान्य तौर पर पांच बत्तियों से आरती की जाती है। इसे पंचप्रदीप कहा जाता है। कई बार आरती के दौरान एक, सात या उससे भी अधिक बत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है। कपूर से आरती करने का भी काफी प्रचलन है। इन सबके बीच घी के दीपक से आरती करने के विशेष लाभ बताए गए हैं। मालूम हो कि आरती की थाली को दाईं से बाईं ओर घुमाने की बात कही गई है। ऐसा भी कहा जाता है कि आरती की थाली को ऐसे घुमाना चाहिए, जिससे ऊँ का आकार बनता हो। इस तरीके से आरती करने को काफी शुभ माना गया है।
आरती की थाली में थोड़े फूल, अक्षत और मिठाई रखने की बात कही गई है। आरती के समय परिवार के सदस्यों का एकजुट होना शुभ माना जाता है। कहते हैं कि इससे परिवार के लोगों में सकारात्मकता आती है और उनमें एकता बढ़ती है। आरती के संदर्भ में यह भी मान्यता है कि यह सुबह के समय या फिर शाम को की जानी चाहिए। कहते हैं कि आरती कभी भी जल्दबाजी में नहीं की जानी चाहिए। जल्दबाजी में आरती करना गलत माना जाता है।


