आपने कुंडली या जन्म कुंडली के बारे में अवश्य सुना होगा। ज्योतिष शास्त्र में इस शब्द का खूब प्रयोग किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर कुंडली होती क्या है? और इसमें किन चीजों का अध्ययन किया जाता है। यदि नहीं तो हम आपको इस बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। प्रत्येक कुंडली में नौ ग्रह और 12 राशियां होती हैं। कुंडली अध्ययन के दौरान इन्हीं पर फोकस किया जाता है। हांलाकि कुंडली केवल इसी पर निर्भर नहीं होती। मालूम हो कि प्रत्येक कुंडली का एक विशेष ग्रह होता है। इस ग्रह को ही उस कुंडली का प्राण कहा जाता है। इसके साथ ही इस विशेष ग्रह को उस कुंडली की चाबी भी कहते हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन लोगों की कुंडली का विशेष ग्रह कमजोर होता है, उन्हें अपने जीवन में सफलता हासिल करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है। वहीं, जिन लोगों की कुंडली या जन्म कुंडली का विशेष ग्रह मजबूत होता है, उन्हें अपने करियर में ढेर सारी सफलताएं मिलती हैं। मालूम हो कि जिन लोगों की कुंडली मेष लग्न की होती है, उनके लिए सूर्य ग्रह विशेष होता है। ऐसे में ये लोग अपने सूर्य को मजबूत करके अपने जीवन में कई सारी समस्याओं का हल ढूंढ सकते हैं।

जिन लोगों की कुंडली वृषभ लग्न की होती है जिनके लिए शनि ग्रह विशेष होता है। मिथुन लग्न वालों के लिए बुध ग्रह विशेष माना गया है। कर्क लग्न की कुंडली के लिए मंगल ग्रह विशेष है। सिंह लग्न की कुंडली के लिए बृहस्पति ग्रह विशेष है। कन्या लग्न की कुंडली के लिए शनि ग्रह को विशेष माना गया है। तुला लग्न की कुंडली की चाबी शनि ग्रह के पास है। वृश्चिक लग्न की कुंडली के लिए बृहस्पति की ठीक होना जरूरी है। धनु लग्न की कुंडली के लिए मंगल और मकर लग्न की कुंडली के लिए शुक्र को विशेष ग्रह माना गया है। जबकि कुंभ लग्न की कुंडली के लिए शुक्र और मीन के लिए चंद्रमा मुख्य ग्रह है।