Happy Raksha Bandhan 2018, Rakhi 2018: हिंदू धर्म के बारे में कहा जाता है कि यह त्योहारों वाला धर्म है। यानी कि इस धर्म में खूब सारे त्योहार बनाए जाते हैं। इन सबके बीच रक्षा बंधन का त्योहार अपना खास महत्व रखता है। इस त्योहार पर बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन देता है। यदि रक्षा बंधन के इतिहास की बात करें तो यह काफी पुराना है। इसे सिंधु घाटी की सभ्यता से जुड़ा हुआ बताया जाता है। कहते हैं कि रक्षा बंधन की परंपरा उन बहनों ने डाली थी जो सगी नहीं थीं। भले ही उन बहनों ने अपने संरक्षण के लिए ही इस पर्व की शुरुआत क्यों न की हो, लेकिन उसकी बदौलत आज भी इस त्योहार की मान्यता बरकरार है।

रक्षा बंधन एक ऐसा त्योहार है जिसका इतिहास करीब 6 हजार साल पुराना बताया जाता है। रक्षा बंधन की शुरुआत का सबसे पहला साक्ष्य रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूं से जुड़ा है। मध्यकालीन युग में राजपूत और मुस्लिमों के बीच संघर्ष चल रहा था। उस दौरान चित्तौड़ के राजा की विधवा रानी कर्णावती को गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से अपनी और प्रजा की सुरक्षा का खतरा था। इस संभावित खतरे को देखते हुए कर्णावती ने हुमायूं को राखी भेजी। इस पर हुमायूं ने उनकी रक्षा कर उन्हें बहन का दर्जा दिया था।

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रक्षा बंधन का दूसरा इतिहास भगवान कृष्ण और द्रोपदी से जुड़ा हुआ है। जब भगवान कृष्ण ने राजा शिशुपाल को मारा तो युद्ध के दौरान कृष्ण के बाएं हाथ की अंगूली से खून बह रहा था। इसे देखकर द्रोपदी बेहद दुखी हुईं और उन्होंने अपनी साड़ी का टुकड़ा चीरकर कृष्ण की अंगूली में बांध दिया। इससे उनका खून बहना बंद हो गया। माना जाता है कि तभी से कृष्ण ने द्रोपदी को अपनी बहन मान लिया। द्रोपदी को बहन मानने की वजह से ही भगवान कृष्ण ने अपनी बहन की रक्षा उस समय की जब किसी ने उनका साथ नहीं दिया। दरअसल पांडव द्रोपदी को जुए में हार गए थे और भरी सभा में उनका चीरहरण हो रहा था। ऐसे में कृष्ण ने द्रोपदी की लाज बचाई थी।