Teej 2024 Date: हिंदू धर्म में तीज के त्योहार का विशेष महत्व है। यह त्योहार साल में तीन बार आता है। जिसमें सबसे पहले हरियाली तीज फिर कजरी तीज और सबसे अंत में हरितालिका तीज आती है। इन तीनों व्रत में भोलेनाथ और मां पार्वती की पूजा- अर्चना की जाती है। मान्यता है इन व्रतों को रखने सो अखण्य सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है। वहीं आपको बता दें कि इन तीज व्रत में जहां बहुत सी समानताएं हैं तो वहीं कुछ अंतर भी है। आइए जानते हैं…

हरियाली तीज (Hariyali Teej)

वैदिक पंंचांग के अनुसार हरियाली तीज हर साल सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। जो इस साल 7 अगस्त को थी। इस दिन महिलाएं  इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रख भोलेनाथ और मां पार्वती की पूजा- अर्चना करती हैं। शिव पुराण के अनुसार इस दिन ही भोलेनाथ ने मां गौरी को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। इसी कारण हरियाली तीज का व्रत सुहागिन स्त्रियों के लिए अखंड सौभाग्य का वरदान देने वाला माना गया है।  इस दिन महिलाएं सज-संवरकर झूला झूलती हैं और सावन के प्यारे लोकगीत गाती हैं। इस दिन हाथों में मेहंदी लगाने की भी परंपरा है।

कजरी तीज (Kajari Teej)

वैदिक पंचांग के अनुसार कजरी तीज का त्योहार हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन मनाया जाता है। इस साल कजरी तीज 22 अगस्त को है। वहीं आपको बता दें कि इसे कजली तीज, सातूड़ी तीज और भादो तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अखण्ड सौभाग्य और पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव के साथ नीमड़ी माता की पूजा करने का विधान है। शास्त्रों के अनुसार मध्य भारत में कजली नाम का एक वन था। एक बार वहां के राजा की अकाल मृत्यु हो गई और इसके वियोग में रानी ने खुद को सती कर लिया। इस घटना से वहां के लोग इतने दुखी हो गए, लेकिन राजा-रानी के प्रेम से इतना प्रभावित हुए कि वे लोग कजली गीत गाने लगे थे। ये गीत पति-पत्नी के प्रेम का प्रतीक होता था। कजरी तीज मनाने की परंपरा यहीं से शुरू हुई। इस दिन शाम को व्रत तोड़ने से पहले महिलाएं सात रोटियों पर चना और गुड़ रखकर पहले गाय को खिलाती हैं। 

हरतालिका तीज (Hartalika Teej)

ज्योतिष पंचांग के मुताबिक भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखने का विधान है। इस साल हरतालिका तीज का व्रत 06 सितंबर  को रखा जाएगा । हरियाली तीज की तरह ही हरितालिका व्रत भी निर्जला रखा जाता है।मान्यता है मां पार्वती ने भोलेनाथ को वर रूप में प्राप्त करने के लिए घोर वन में तपस्या की थी। साथ ही बालू के शिवलिंग बनाकर उनका पूजन किया था जिससे प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें दर्शन दिये थे। आपको बता दें कि हरतालिका तीज पर महिलाएं मंडप सजाकर बालू से भगवान शिव और पार्वती जी की प्रतिमा बनाकर उनका गठबंधन करती हैं। हरतालिका तीज व्रत अविवाहित कन्याओं द्वारा अच्छे पति की प्राप्ति के लिए और विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सौभाग्य में वृद्धि के लिए करती हैं।

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