ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि दुनिया की प्रत्येक वस्तु व घटना का  कुंडली में ग्रहों की दशा से संबंध है। कुंडली के ग्रह हर एक चीज को प्रभावित करते हैं। ऐसे में आज हम जानेंगे कि शारीरिक दर्द का कुंडली में ग्रहों की दशा से क्या कनेक्शन है। ज्योतिष के अनुसार कुंडली में राहु की दशा कमजोर होने पर व्यक्ति को कई तरह के शारीरिक दर्द का सामना करना पड़ता है। कहते हैं कि राहु की प्रधानता होने पर व्यक्ति तनाव और गुस्से का शिकार हो जाता है। इस दशा में व्यक्ति को दूसरों से लड़ने की आदत लग जाती है। माना जाता है कि राहु की वजह से व्यक्ति आलसी हो जाता है और वह छोटे-छोटे कार्यों को भी पूरा नहीं कर पाता। साथ ही राहु के खराब होने से दुर्घटनाएं होने की बात भी कही जाती है।

मालूम हो कि राहु का लग्न के साथ संबंध होना भी काफी बुरा माना गया है। कहते हैं कि ऐसी दशा में व्यक्ति बुखार की चपेट में आ जाता है। यह बुखार बहुत ही तेज होता है। इसमें व्यक्ति के शरीर में काफी तेज दर्द होता है। इसके अलावा कुंडली में राहु का अन्य ग्रहों से संबंध भी अच्छा नहीं माना जाता। कहते हैं कि ऐसी स्थिति में व्यक्ति को आंखों से जुड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है।

शारीरिक दर्द के लिए कुंडली में राहु और शनि के मेल को भी जिम्मेदार माना गया है। कहते हैं कि ऐसी दशा में व्यक्ति को कई तरह की छोटी-छोटी चोटें लगती रहती हैं। साथ ही कोई बड़ी दुर्घटना होने की संभावना भी बढ़ जाती है। शरीर में पेट का स्थान मंगल ग्रह का माना गया है। ज्योतिष के अनुसार कुंडली में मंगल की दशा खराब होने पर व्यक्ति को पेट से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में लोग मंगल को मजबूत करने के उपाय करते हैं।