हम सब अक्सर आलस्य का शिकार हो जाते हैं। आलस्य की वजह से हमारे कई जरूरी काम अधूरे ही रह जाते हैं जिसका बाद में हमें काफी अफसोस भी होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आलस्य का कुंडली में ग्रहों की दशा से गहरा कनेक्शन है। यदि नहीं तो आज हम आपको इसी बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस व्यक्ति की कुंडली में मुख्य ग्रह चंद्रमा होता है। या फिर चंद्रमा लग्न की स्थिति पर अपना प्रभाव छोड़ता है तो व्यक्ति आलस्य की चपेट में आ जाता है। कहतें है कि कुंडली में  उपरोक्त दशा होने पर व्यक्ति खुद को शारीरिक रूप से कमजोर महसूस करने लगता है और उसे आलस्य भी खूब आता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस व्यक्ति की कुंडली में मुख्य ग्रह बृहस्पति होता है। या फिर शुक्र ग्रह लग्न पर अपना प्रभाव छोड़ रहा हो। ऐसी दशा में व्यक्ति के आलस्य से घिर जाने की मान्यता है। कहते हैं कि ऐसी दशा में व्यक्ति का काम करने में मन नहीं लगता और बस आराम करने को मन करता है। इस प्रकार से चंद्रमा, बृहस्पति और शुक्र ग्रहों की कुंडली में स्थिति को मुख्य रूप से आलस्य के लिए जिम्मेदार माना गया है।

इसके अलावा कुंडली में शनि ग्रह की दशा खराब होने पर भी व्यक्ति आलस्य का शिकार हो जाता है। कहते हैं कि शनि ग्रह से आने वाला आलस्य बड़ा ही भयानक होता है। ऐसी दशा में व्यक्ति अपने बिस्तर से उठना ही नहीं चाहता और काम करने को तो बिलकुल भी तैयार नहीं होता है। इसके साथ ही आलस्य के लिए भोजन को भी जिम्मेदार माना जाता है। कहते हैं कि कार्बोहाइड्रेट्स और कैलोरी से भूरपूर भोजन लेने पर आलस्य अत्यधिक आता है। इसलिए हमें ऐसें भोज्य पदार्थ लेने से मना किया जाता है जिसमें कार्बोहाइड्रेट्स और कलौरी ज्यादा हो।