ज्योतिष शास्त्र में शादी का कुंडली में ग्रहों की दशा से गहरा कनेक्शन बताया गया है। इसके मुताबिक जब किसी व्यक्ति की कुंडली में शादी का योग बन जाता है तो थोड़े से प्रयास से उसकी शादी तय हो जाती है। और कुंडली में योग नहीं बनने पर तमाम प्रयास के बावजूद शादी तय नहीं हो पाती। कहते हैं कि शादी के लिए इधर-ऊधर दौड़ने-भागने से पहले अपने बच्चे की जन्म कुंडली किसी ज्योतिष को जरूर दिखा लेनी चाहिए। ऐसा करने से शादी के योग की जानकारी मिल जाती है और आपका काम आसान हो जाता है। ज्योतिष शास्त्र में ऐसा कहा गया है कि कुंडली दिखाने के बाद योग के हिसाब से ही शादी करनी चाहिए। कहते हैं कि ऐसा नहीं करने पर ऐसी शादी बहुत अधिक समय तक ठीक नहीं पाती है।
मालूम हो कि ज्योतिष में शादी के लिए व्यक्ति की जन्म कुंडली में चंद्रमा और मंगल की दशा को जिम्मेदार माना गया है। इसके मुताबकि यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा और मंगल खराब स्थिति में हो तो शादी में काफी दिक्कतें आती हैं। चंद्रमा को मन की शांति से जोड़ा जाता है। यही पति-पत्नी के रिश्ते में भी सुख-शांति लाता है। वहीं, मंगल को जीवन के मंगल से जोड़कर देखा जाता है।
ज्योतिष में सूर्य का लग्न गृह में होना काफी शुभ बताया गया है। इसके अनुसार ऐसी स्थिति में व्यक्ति की शादी 24 साल की उम्र से पहले करनी शुभ होती है। ज्योतिष में कहा गया है कि कुंडली में शादी का योग बन जाने पर शादी कर लेनी चाहिए। अत्यधिक उम्र हो जाने पर शादी का योग बनना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। कुंडली में चंद्रमा और मंगल की स्थिति को मजबूत करने के लिए कुछ उपाय भी किए जाते हैं। एक उपाय में चार गिलास पानी में चार छुहारे डालकर उबालने के लिए कहा गया है। इसके बाद इसे ठंडा करें और फिर लगातार इसे 43 दिन तक प्रवाहित करें।