संतान सुख हासिल करना प्रत्येक दंपत्ति की चाहत होती है। संतान सुख को बहुत ही खास सुख माना जाता है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि संतान सुख का आपकी कुंडली में ग्रहों की दशा से क्या कनेक्शन है? यदि नहीं तो आज हम आपको इस बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली का पांचवां, नौवां और ग्यारहवां भाव संतान सुख से संबंध रखता है। इसके साथ ही कुंडली के सप्तम भाव को भी गर्भ का भाव माना गया है। माना जाता है कि इन भोवों की स्थिति खराब होने से संतान सुख की प्राप्ति में दिक्कत आने लगती है। ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति को संतान का कारक कहा गया है। ऐसे में संतान सुख के लिए कुंडली में बृहस्पति की स्थिति खास मायने रखती है।
ज्योतिष शास्त्र में संतान सुख के लिए पति-पत्नी दोनों की कुंडली देखना जरूरी माना गया है। कहते हैं कि संतान प्राप्ति की चाह रखने वाले दंपत्ति को भगवान श्रीकृष्ण की आराधना जरूर करनी चाहिए। विवाह के कई साल बीत जाने के बाद भी कुछ दंपत्तियों को संतान सुख की प्राप्ति नहीं हो पाती है। ऐसी स्थिति में उन्हें प्रत्येक सुबह जल में हल्दी मिलाकर सूर्य देव को अर्पित करने के लिए कहा जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से संतान सुख मिलता है।
संतान सुख की प्राप्ति के लिए पति-पत्नी द्वारा एकादशी का व्रत करना अहम माना गया है। कहा जाता है कि जो दंपत्ति पूरी श्रद्धाभाव से एकादशी का व्रत करते हैं, उन्हें जल्द ही संतान सुख की प्राप्ति होती है। बता दें कि प्रत्येक सुबह सूर्य को जल में रोली मिलाकर अर्पित करने से भी संतान सुख मिलने की मान्यता है। इसके अलावा पति-पत्नी को नियमीत रूप से ‘ऊं क्लीं कृष्णाय नम:’ का 108 बार जाप करने के लिए कहा गया है। इस मंत्र के जाप से भी संतान सुख मिलने की मान्यता है।