हिंदू धर्म में गंगा नदी को सबसे पवित्र माना गया है। गंगा को मां का दर्जा दिया गया है। आज हम जानेंगे कि गंगाजल के प्रयोग के क्या धार्मिक लाभ बताए गए हैं। गंगा नदी के जल को विशेष माना जाता है। क्योंकि इसके जल में कई तरह के गुण विद्यमान हैं। कहा जाता है कि गंगा का जल अपनी शुद्धता और पवित्रता को लंबे समय तक बनाए रखता है। यानी कि गंगाजल लंबे समय तक खराब नहीं होता। शास्त्रों में कहा गया है कि गंगा का जन्म भगवान विष्णु के चरणों से हुआ था। इसके साथ ही यह भी मान्यता है कि गंगा नदी भगवान शंकर की जटाओं में निवास करती है। कहते हैं कि गंगा में स्नान करने, पूजन करने या दर्शन करने से जीवन के पाप कर्मों का नाश होता है। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है।
गंगाजल के बारे में यह दावा किया जाता है कि इसे सालों तक रखने पर भी यह खराब नहीं होता। कहते हैं कि गंगाजल की शुद्धता लंबे समय तक बनी रहती है। गंगाजल के नियमित प्रयोग से बीमारियों के दूर होने की बात भी कही गई है। गंगाजल को मिलाकर कई सारी औषधियां और दवााइयां बनाई जाती हैं। गंगाजल में विद्यमान इन औषधीय गुणों के कारणों को अज्ञात माना गया है।
गंगा नदी के किनारे स्थित तीर्थ स्थानों को बहुत ही पवित्र माना गया है। कहा जाता है कि इन तीर्थ स्थानों की यात्रा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि गंगा नदी के किनारे स्थित तीर्थ स्थानों पर आने से जीवन में खुशियों का आगमन होता है। इससे व्यक्ति के अंदर का अंधकार दूर होता है और उसका जीवन प्रकाश की ओर अग्रसर होता है। सामान्य तौर पर यह कहा जाता है कि हर किसी को अपने जीवन में एक बार गंगा नदी के किनारे स्थित तीर्थ स्थानों की यात्रा जरूर करनी चाहिए।
