सावन के महीने में सड़कों पर कांवड़ियों का तांता लगा हुआ होता है। ये कांवड़ियों पूरी तरह से शिव जी की भक्ति में डूबे हुए नजर आते हैं। लेकिन क्या आपको मालूम है कि सावन में कांवड उठाने के क्या फायदे हैं? यदि नहीं तो हम आपको इस बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। माना जाता है कि कांवड़ यात्रा से कष्टों से मुक्ति मिलती है। कांवड़ उठाने को शिव जी की भक्ति का ही एक रूप माना जाता है। मान्यता है कि इससे शिव जी बहुत ही प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त के कष्टों को दूर करते हैं। सावन माह में कांवड़ उठाकर शिवलिंग का जलाभिषेक करने को बहुत ही शुभ माना गया है। कहते हैं कि ऐसे शिवभक्तों पर भोले बाबा की विशेष कृपा बरसती है।

बता दें कि सावन माह में कांवड़ में जल भरकर शिवलिंग या ज्योतिर्लिंग पर चढ़ाने की मान्यता है। कहा जाता है कि शिव जी ने सावन माह में ही विषपान किया था। इसलिए उस विष की ज्वाला को शांत करने के लिए जलाभिषेक करने का विधान बना। माना जाता है कि कांवड़ के जल से शिव जी का जलाभिषेक करने से जीवन की तमाम समस्याएं दूर होती हैं। मान्यता है कि इससे अकाल मृत्यु का डर भी समाप्त हो जाता है।

कांवड़ में किसी पवित्र नदी का जल भरना ही शुभ माना जाता है। गंगा नदी का जल इसके लिए सर्वोत्तम बताया गया है। कहा जाता है कि कांवड़ जल को कभी भी भूमि पर नहीं रखना चाहिए। कांवड़ उठाने वालों को एक समय ही भोजन करने के लिए कहा गया है। इसके साथ ही कांवड़ यात्रा के दौरान शिवमंत्र का जाप करना भी बहुत फलदायी माना गया है। कांवड़ उठाने के लिए भगवा रंग का वस्त्र ही शुभ माना गया है। इससे पूजा का स्तर संतुलित रहने का मान्यता है।