Weekly Vrat Tyohar (31 October To 06 November): वैदिक पंचांग अनुसार वर्तमान सप्ताह की शुरुआत कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के साथ हो रही है। साथ ही इस सप्ताह गोपाष्टमी, देवोत्थान एकादशी, तुलसी विवाह, अक्षय नवमी और शनि प्रदोष व्रत आदि पड़ रहे हैं। आइए जानते हैं इन त्योहारों की तारीख और महत्व…
01 नवंबर, मंगलवार (गोपाष्टमी)
वैदिक पंचांग के अनुसार हर साल गोपाष्टमी का पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन गौमाता की पूजा- अर्चना की जाती है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने इस दिन से ही गायों को चराना आरंभ किया था। संतान पाने के लिए ये व्रत सबसे अच्छा है। इस दिन व्रत करने से संतान की इच्छा रखने वालों को संतान सुख मिलने की मान्यता है।
2 नवंबर, बुधवार (अक्षय नवमी)
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी मनाई जाती है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने की परंपरा है। इसलिए इसे आंवला नवमी कहा जाता है। मान्यता है कि त्रेता युग का आरंभ इसी दिन हुआ था। साथ ही इस दिन आंवले के साथ भगवान विष्णु की भी उपासना की जाती है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन आंवले का सेवन करने से सेहत का वरदान मिलता है। वहीं आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन करने से उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
4 नवंबर, शुक्रवार (देवउठनी एकादशी)
देवउठनी एकादशी को देवोत्थान एकादशी अथवा देव प्रबोधिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान शालिग्राम और तुलसी का विवाह करवाने की भी परंपरा है। साथ ही इस दिन से विवाह प्रारंभ हो जाते हैं, लेकिन इस बार शुक्र तारा अस्त है तो विवाह शुक्र तारा से उदय होने के बाद ही शुरू होंगे।
5 नवंबर, शनिवार (प्रदोष व्रत)
प्रदोष व्रत भोलेनाथ को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा- अर्चना की जाता है और व्रत रखा जाता है। वहीं यदि प्रदोष व्रत मंगलवार को हो तो उसे भौम प्रदोष कहा जाता है। 5 नवंबर को शनिवार होने से शनि प्रदोष व्रत होगा। साथ ही ‘अद्य अहं महादेवस्य कृपाप्राप्त्यै सोमप्रदोषव्रतं करिष्ये’ यह कहकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद शाम को भगवान शिव की पूजा करके, व्रत को खोलना चाहिए।