वैदिक पंचांग के अनुसार इस सप्ताह शुरुआत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि के साथ हो रहा है। वहीं यह कृष्ण पक्ष 25 सितम्बर को आश्विन अमावस्या वाले दिन समाप्त हो जाएगा। साथ ही 26 सितंबर को आश्विन मास का शुक्ल पक्ष नवरात्र वाले दिन से आरंभ हो जाएगा। इस सप्ताह भी कई प्रमुख त्योहार और व्रत पड़ रहे हैं। जिसमें प्रमुख, मातृनवमी श्राद्ध, इंदिरा एकादशी, प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि आदि हैं।
मातृ नवमी श्राद्ध (19 सितंबर, सोमवार)
मात- नवमी श्राद्ध आज यानि 19 सितंबर को है। इस दिन मां, दादी, नानी आदि माता पितरों का श्राद्ध किया जाता है। श्राद्ध और तर्पण करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं। साथ ही वे अपने वंश को सुख, शांति और उन्नति का आशीर्वाद देती हैं।
इंदिरा एकादशी व्रत (21 सितंबर, बुधवार)
पंचांग के अनुसार इंदिरा एकादशी व्रत आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। साथ ही ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से अधोगति को प्राप्त हुए पितरों का उद्धार होता है। वहीं जो लोग इन दिन पितरों का विधिपूर्वक श्राद्ध करते हैं और व्रत कथा का श्रवण करते हैं। इससे पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए इस दिन पितरों के श्राद्ध का विशेष महत्व है।
द्वादशी का श्राद्ध (22 सितंबर, गुरुवार)
शास्त्रों के अनुसार द्वादशी तिथि वाले दिन परिवार के उन सदस्यों का श्राद्ध करने का विधान है जिन्होंने संन्यास लिया हो। साथ ही इस दिन 7 ब्राह्राणों को भोजन करना का विधान है।
शुक्र प्रदोष व्रत (23 सितम्बर, शुक्रवार)
पंचांग अनुसार आश्विन माह के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत शुक्रवार को होने के कारण यह शुक्र प्रदोष व्रत है। इस दिन भोलेनाथ की पूजा- अर्चना प्रदोष काल के मुहूर्त में की जाती है। साथ ही इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। वहीं शुक्र प्रदोष के व्रत से उपासक को सौभाग्य और स्त्री की समृद्धि की प्राप्ति होती है।
मासिक शिवरात्रि व्रत (24 सितंबर, शनिवार)
पंचांग अनुसार हर माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को शिवरात्रि व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने और व्रत रखने का महत्व है। रात्रि प्रहर की पूजा विशेष मानी जाती है। इस व्रत को रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।