Weekly Vrat Tyohar 12 To 18 September: कलेण्डर के अनुसार सितंबर महीने का तीसरा सप्ताह शुरू हो चुका है। इस सप्ताह ग्रहों के राजा सूर्य कन्या राशि में गोचर करने जा रहे हैं। साथ ही इस सप्ताह इस विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी, विश्वकर्मा पूजा, महालक्ष्मी व्रत, जीवित्पुत्रिका व्रत, कन्या संक्रांति आने वाली है। इसलिए इस सप्ताह का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं इन त्योहारों और व्रतों का धार्मिक महत्व…

विश्वकर्मा पूजा: वैदिक पंचांग के अनुसार विश्वकर्मा पूजा इस साल 17 सितंबर को पड़ रही है। इस दिन शिल्पकार और यंत्रों के देवता भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही इस दिन लोग भगवान विश्वकर्मा की पूजा के साथ अपने औजारों, मशीनों और कलम और दवात की भी पूजा करते हैं। भगवान विश्वकर्मा देवताओं के शिल्पी हैं। उन्होंने सृष्टि की रचना में ब्रह्मा जी की मदद की थी।

महालक्ष्मी व्रत का समापन: ज्योतिष पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से प्रारंभ हुआ महालक्ष्मी व्रत का समापन 17 सितंबर को होगा। भविष्य पुराण के अनुसार महालक्ष्मी व्रत का महात्म स्वंय भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों को बताया है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा- अर्चना की जाती है। साथ ही माता लक्ष्मी पर कमलगट्टा, गुलाब का फूल, मिठाई और फल अर्पित किए जाते हैं। माता लक्ष्मी के आशीर्वाद से जीवन में धन- समृद्धि का वास रहता है।

कन्या संक्रांति 2022: वैदिक पंचांग के अनुसार 17 सितंबर को ही सूर्य देव कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। साथ ही इस दिन सूर्य की कन्या संक्रांति होगी। कन्या राशि पर बुध देव का आधिपत्य है और ज्योतिष शास्त्र अनुसार सूर्य देव और बुध ग्रह में मित्रता का भाव विद्यमान है।

जीवित्पुत्रिका व्रत 2022: शास्त्रों में इस व्रत को जितिया या जिउतिया के नाम से भी जाना जाता है। आपको बता दें कि अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को शुरू होने वाला ये व्रत नवमी को पारण के साथ समाप्त होता है। यह व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और सुख- समृद्धि के लिए रखती हैं। इस दिन जीमूतवाहन की पूजा करते हैं। यह व्रत काफी कठिन होता है और निर्जला रखा जाता है। इस व्रत का भी संबंध महाभारत काल से माना जाता है।