Vrishchik Sankranti 2022: वृश्चिक संक्रांति इस माह में 16 तारीख यानि की कल पड़ रही है। इस दिन दान और व्रत रखने से पुण्य फल की प्राप्ति होने की मान्यता है। इस दिन पितरों का तर्पण भी किया जाता है।
किसे कहते हैं संक्रांति?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य देव हर माह एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करते हैं। सूर्य देव के राशि परिवर्तन की प्रक्रिया को संक्रांति कहा जाता है। सूर्य देव कल अपनी राशि परिवर्तित कर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। इसलिए इसे वृश्चिक संक्रांति कहा जाता है। इस दिन पितरों का तर्पण,दान और गंगा स्नान का बहुत महत्व हैं।
संक्रांति का महत्व
मान्यता के अनुसार संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। गुड़ और तिल का भोग लगाना चाहिए और प्रसाद का वितरण करना चाहिए। एकादशी और पूर्णिमा की तरह संक्रांति को भी बहुत ही शुभ दिन माना गया है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन दिन व्रत रखना भी बहुत फलदायी होता है। इस व्रत में एक समय ही भोजन किया जाता है गंगा स्नान के बाद दान करने का भी विधान है। मान्यता के अनुसार ऐसा करने के पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
संक्रांति पर करें ये उपाय
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार संक्रांति के दिन सूर्य देव को अर्घ्य दें और सूर्य मंत्रों का जाप करें।सूर्य चालीसा का भी पाठ करें। मान्यता है कि संक्रांति पर सूर्य चालीसा का पाठ करने से आर्थिक परेशानियां खत्म हो जाती हैं।
संक्रांति पर श्राद्ध और तर्पण का महत्व
मान्यता है कि संक्रांति पर पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। साथ ही उनका आशिर्वाद भी मिलता है। इन जरूरतमंदों को भोजना करना चाहिए और सामर्थ के अनुसार दान भी करना चाहिए।