Swami Premanand Maharaj Vrindavan: श्री कृष्ण की नगरी वृंदावन हर किसी के जाने की इच्छा होती है। जहां पर कान्हा का बचपन, गोपियों के साथ रास लीला, राधा-श्री कृष्ण के अटूट प्रेम के निशान से लेकर कई कहानियां है। वृंदावन को एक ऐसी नगरी माना जाता है जहां जाने मात्र और राधे-राधे का जाप करते हुए कान्हा के दर्शन कर लेने मात्र से जीवन सफल हो जाता है। लेकिन कई बार हम अनजाने में ऐसी गलतियां कर देते है जिससे हमें कई प्रकार के दोष का भी सामना करना पड़ सकता है। अगर आपको भी वृंदावन आने का मौका मिलेगा या फिर आप वृंदावन में वास कर रहे हैं, तो कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। आइए जानते हैं स्वामी प्रेमानंद महाराज जी से कि वृंदावन आने के बाद कौन सी गलतियां नहीं करनी चाहिए….
ब्रजवासियों को न दें किसी प्रकार का दोष
स्वामी प्रेमानंद महाराज जी कहते हैं कि अगर आप वृंदावन घूमने आए है और कोई ब्रजवासी मंदिर घुमाने के बहाने या सामान आदि बेचकर आपसे अधिक पैसा ले लेते हैं, तो उन्हें किसी भी प्रकार का दोष या अपशब्द न कहें। इस बात का अच्छे से गांठ बांध लें कि ये ब्रजवासी ही रोजाना अधिक संख्या में संतों से लेकर श्रद्धालुओं का पेट भरते हैं। ऐसे में अगर किसी ने आपसे सौ-दो सौ ज्यादा ले लिया है, तो दोष बिल्कुल भी न दें।
किसी बृजवासी का न करें अपमान
स्वामी प्रेमानंद महाराज जी कहते हैं कि ब्रजवासी की बोली काफी कठोर होती है। स्वयं हरिराम व्यास जी ने कहा है कि ब्रजवासी रसिकों की गाली और बाहर से आए लोगों की स्तुति करने से अधिक मंगलदायक है। ब्रजवासी भगवान के पार्षद हैं। इसलिए अगर वो कभी गाली भी दें, तो उसे आशीर्वाद समझना और कभी भी नाराज होकर उनके जवाब मत देना। हो सकता है कि वह आपके लिए गाली हो, लेकिन ब्रजवासियों के लिए वो गाली नहीं होती है। यह आपके पापों का नाश कर सकती है।
वृंदावन में न पहुंचाएं किसी जीव-जंतु को कष्ट
स्वामी प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि अगर आप वृंदावन आए हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि यहां पर मौजूद किसी भी जीव-जंतु को किसी भी प्रकार का कष्ट न दें, क्योंकि वह भी किसी प्रकार से भजन करके इस पावन धरती पर आया हुआ कोई महापुरुष हो सकता है। यहां पर मौजूद बंदर भगवद् का स्वरूप है। इसलिए इन्हें भी किसी प्रकार से कष्ट न पहुंचाएं।
किसी न समझें छोटा
जो लोग भगवद् मार्ग में चल रहे हैं, तो ऐसे उपासकों से किसी भी प्रकार से वाद-विवाद नहीं करना चाहिए। उन्हें निराकार रूप में होते हैं, तो कोई गोपी या फिर सखा भाव से होते हैं। इसलिए किसी भी प्रकार की निंदा आदि न करें।
डिसक्लेमर- इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
