Navratri 2018 Puja Vidhi, Vrat Vidhi: मां के प्रथम रुप शैलपुत्री की पूजा घरों और विभिन्न पूजा-पंडालों में भक्ति-भाव के साथ की जा रही है। मान्यता यह है कि इनके पूजन से मूलाधार चक्र जाग्रत हो जाता है। कहते हैं कि जो भी भक्त श्रद्धा भाव से मां की पूजा करता है उसे सुख और सिद्धि की प्राप्ति होती है। नवरात्र के पहले दिन घरों और पंडालों में भक्तों ने शुभ मुहूर्त में कलश स्थापन किया और मां की पूजा-अर्चना की। मां को कई नामों से पुकारा जाता है। 108 नाम हैं मां जगदंबे के। इन नौ दिनों में पूरा माहौल ही बदला नजर आता है। उत्तर भारत में बड़े-बड़े पंडालों में मां अम्बे विराजती हैं। उनकी आरती और पूजन होती है। इस दौरान विधि-विधान की बारीकियों का ध्यान रखा जाता है। ज्यादातर श्रद्धालू पूरे समय व्रत रखते हैं।
नवरात्र में पूजा और व्रत का खास महत्व है। मान्यता है कि मां दुर्गा की पूजा से सुख, शांति और खुशहाली प्राप्ति होती है। मां अपने अन्य हर रुप में फलदायी होती है। नवरात्रि में व्रत करने वालों को मां की विशेष कृपा प्राप्ति होती है। व्रत रखकर मां की पूजा-अराधना से पहले यह जरूरी है कि हम व्रत के नियम और विधि के बारे में अच्छी तरह से जान लें।
पूजा विधि:
– नवरात्रि के शुरुआत के साथ ही पहले दिन 9 दिनों के व्रत और उपवास का संकल्प लेना चाहिए। इसके लिए सीधे हाथ में जल लेकर उसमें चावल, फूल और एक सुपारी लेकर सिक्का रखें। मन ही मन व्रत का संकल्प लेकर इसे पूरी श्रद्धा के साथ मां के चरणों में अर्पित करें।
– नवरात्र में अगर आप उपवास रखकर मां की अराधना कर रहे हैं तो सुबह जल्दी उठकर नहाएं और घर की सफाई करें। पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करने के बाद मां की पूजा करें। नवरात्र के पहले ही दिन घी या तेल का दीपक जलाएं। ध्यान रखें वो दीपक नौ दिनों तक बुझ ना पाए।
-मां की पूजा के बाद फलाहार करें। सुबह मां की पूजा के बाद दूध या कोई अन्य फल आप ले सकते हैं। ध्यान रहे की नवरात्र में व्रत उपवास करने वाले श्रद्धालुओं को नमक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। सुबह पूजा के दौरान आरती के बाद हर दिन शाम के वक्त भी मां की आरती जरूर करें। शाम की आरती के बाद फलाहार करें और यदि न कर सकें तो इसके बाद एक बार भोजन करें।
-नवरात्रों में मां भगवती की आराधना दुर्गा सप्तशती से की जाती है, लेकिन अगर समय की कमी है तो भगवान शिव रचित सप्तश्लोकी दुर्गा का पाठ और सिद्धकुंजिका अत्यंत ही प्रभाव शाली और दुर्गा सप्तशती का सम्पूर्ण फल प्रदान करने वाले है