आज कार्तिक पूर्णिमा है। जिसे साल में आने वाली सभी पूर्णिमाओं में से सबसे अधिक महत्व दिया जाता है। इस दिन भगवान शिव और विष्णु जी की विशेष रूप से पूजा की जाती है। कहा जाता है कि देवताओं के आग्रह पर इसी दिन भगवान शंकर ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था। जिस खुशी में सभी देवताओं ने शिव की नगरी काशी में जाकर दीपदान किया। इसलिए इस दिन गंगा स्नान करके दीपदान करने का विशेष महत्व माना जाता है। कहा ये भी जाता है कि भगवान विष्णु के पहले अवतार मत्स्य का जन्म भी कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा के दिन ही हुआ था। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा के समय इस आरती को जरूर उतारें।

Vishnu Ji Ki Aarti: यहां पढ़े विष्णु जी की आरती लिरिक्स इन हिंदी

विष्णु जी की आरती (Vishnu Ji Ki Aarti) :

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥

जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥

तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥

तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥

तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥

जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥

कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही देव दिवाली भी मनाई जाती है। साथ ही इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। सिखों के लिए भी ये दिन खास होता है। क्योंकि उनके पहले गुरु नानक देव का जन्म भी इसी दिन हुआ था। जिसे सिख समुदाय के लोग प्रकाश पर्व के रूप में मनाते हैं।