Vinayaka Chaturthi 2024: वैदिक हिंदू पंचांग के अनुसार, हर मास के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। ऐसे ही फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी को व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि आज भगवान गणेश की विधिवत पूजा करने से हर दुख-दर्द से निजात मिल जाती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस बार विनायक चतुर्थी पर काफी शुभ योग बन रहे हैं। इस शुभ योग में गणेश जी की पूजा करने से गुना अधिक फलों की प्राप्ति होगी। आइए जानते हैं विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त, शुभ योग, पूजा विधि और मंत्र…

विनायक चतुर्थी 2024 तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 13 अप्रैल को सुबह 2 बजकर 33 मिनट से आरंभ हो रही है, जो 14 मार्च को सुबह 1 बजकर 26 मिनट पर समाप्त हो रही है। उदया तिथि के आधार पर विनायक चतुर्थी का व्रत 13 मार्च को रखा जा रहा है।

विनायक चतुर्थी 2024 शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार,विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा सुबह 11 बजकर 06 मिनट से दोपहर 01 बजकर 33 मिनट तक है।

विनायक चतुर्थी 2024 चंद्रोदय समय

विनायक चतुर्थी वाले दिन यानी 13 मार्च को चंद्रोदय सुबह 08 बजकर 22 मिनट पर होगा और चंद्रास्त रात 09 बजकर 58 मिनट पर होगा।

शुभ योगों में है विनायक चतुर्थी व्रत

मार्च माह में पड़ने वाली विनायक चतुर्थी बुधवार के दिन पड़ रही है। बुधवार भगवान गणेश का ही दिन है। इसके अलावा इस दिन सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि योग के साथ रवि और इंद्र योग बन रहा है। बता दें कि रवि योग सुबह 06 बजकर 33 मिनट से शाम 06 बजकर 24 मिनट तक है। वहीं इंद्र योग सुबह से लेकर देर रात 12 बजकर 49 मिनट तक है। इसके साथ ही अमृत सिद्धि योग सुबह 6 बजकर 41 मिनट तक है।

विनायक चतुर्थी पर भद्रा का साया (Vinayak Chaturthi 2024 Bhadra)

फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की विनायक चतुर्थी के दिन भ्रदा का भी साया होगा। इस दिन दोपहर 02 बजकर 40 मिनट से लगेगी और यह देर रात 01 बजकर 25 मिनट तक रहेगी।

विनायक चतुर्थी 2024 पूजा विधि (Vinayak Chaturthi 2024 Puja Vidhi)

विनायक चतुर्थी पर सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करके साथ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें। अगर आप व्रत रख रहे हैं, तो गणपति जी की मनन करते हुए उपवास का संकल्प लें। इसके बाद एक लकड़ी की चौकी लेकर उसमें लाल या पीले रंग का वस्त्र बिछाकर गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद जल, फूल, माला, दूर्वा, अक्षत, सिंदूर, चंदन, जनेऊ आदि चढ़ाने के साथ मोदक, बूंदी के लड्डू, मौसमी फल आदि चढ़ाएं। इसके साथ ही घी का दीपक और धूप जलाकर चालीसा, मंत्र, व्रत कथा का पाठ कर लें। इसके बाद आरती कर लें।

गणेश मंत्र (Ganesha Mantra)

‘ॐ गं गणपतये नम:।
‘ॐ वक्रतुण्डाय हुं।
सिद्ध लक्ष्मी मनोरहप्रियाय नमः
ॐ मेघोत्काय स्वाहा।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
ॐ नमो हेरम्ब मद मोहित मम् संकटान निवारय-निवारय स्वाहा।

डिसक्लेमर- इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।