माघ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को तिलकुंद या तिलकूट चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इस माह तिलकुंद चतुर्थी 21 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन विशेष रुप से भगवान गणेश का पूजन किया जाता है। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी मनाई जाती है। पुराणों के अनुसार महिलाओं के लिए इस व्रत को उपयोगी माना जाता है। माना जाता है कि विघ्नहर्ता के पूजन से जीवन के सभी कष्ट समाप्त होने लगते हैं। इसी कारण से मंगलमूर्ति और प्रथम पूजनीय भगवान गणेश को संकटहरण भी कहा जाता है। तिलकुंद चतुर्थी के दिन व्रत रखकर भगवान गणेश के पूजन से सुख-समृद्धि, धन और शांति की प्राप्ति होती है।

तिलकुंद चतुर्थी के दिन सुबह स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें और आसन पर बैठकर भगवान गणेश का पूजन करें। पूजा दीप और धूप दिखाकर करें। फल, फूल, चावल, रौली, मौली, पंचामृत से स्नान कराने के बाद तिल और गुड़ से बनी वस्तुओं या लड्डू का भोग लगाएं। श्री गणेश की पूजा करते समय अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ रखें। पूजन के बाद ऊं श्रीगणेशाय नमः का 108 बार जाप करना मंगलकारी रहता है। शाम के समय भगवान गणेश के व्रत की कथा सुनने के बाद उनकी आरती करें।

विनायक चतुर्थी का पूजन दिन के मध्य में किया जाता है, जिसे हिंदू पंचाग के अनुसार मध्यान्ह कहा जाता है। विनायक चतुर्थी का व्रत जीवन की शांति और सुख प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस दिन संतान की इच्छा रखने वाली महिलाएं व्रत करती हैं। घर और परिवार की महिलाएं भगवान गणेश की उपासना करती हैं। माना जाता है कि शुभ मुहूर्त में पूजा करे से ही भगवान गणेश का व्रत सफल होता है। माना जाता है कि जो इस दिन उपवास का पालन करते हैं उन भक्तों को भगवान गणेश ज्ञान और धैर्य के साथ आशीर्वाद देते हैं।