Vinayak Chaturthi Vrat Katha 2025: सनातन धर्म में विनायक चतुर्थी व्रत का विशेष महत्व होता है। ये व्रत हर माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान गणेश के व्रत और पूजा का विशेष विधान होता है। ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से इस व्रत को करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में कभी भी धन, सुख-संपत्ति और शांति की कमी नहीं होती है। इस साल विनायक चतुर्थी का व्रत 30 मई को रखा जाएगा। वहीं इस दिन पूजा करते समय व्रत कथा पढ़ना जरूरी होता है। वरना पूजा अधूरी मानी जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं इस व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा…

विनायक चतुर्थी व्रत कथा 2025

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव और माता पार्वती नर्मदा नदी के तट पर बैठे थे। वहां माता पार्वती ने शिव जी से चौपड़ खेलने की इच्छा जताई। दोनों ने खेलना शुरू किया, लेकिन इस खेल में हार-जीत तय करने के लिए भगवान शिव ने पास पड़े तिनकों से एक बालक का पुतला बनाकर उसमें प्राण प्रतिष्ठा की और भगवान शिव ने उस बालक से कहा कि तुम बताना कि हम दोनों में से कौन हारा और कौन जीता। तीन बार खेले गए इस खेल में माता पार्वती लगातार जीतती रहीं, लेकिन बालक ने हर बार महादेव को विजयी घोषित कर दिया। यह बात पार्वती जी को बहुत बुरी लगी और उन्होंने गुस्से में उस बालक को श्राप दे दिया कि वह लंगड़ा हो जाएगा और कीचड़ में पड़ा रहेगा।

बालक ने मां पार्वती से माफी मांगी और कहा कि उससे यह गलती अज्ञानवश हुई है। इस पर माता का दिल पिघला और उन्होंने कहा कि जब यहां नागकन्याएं आएंगी, तो उनके बताए अनुसार भगवान गणेश का 21 दिन का व्रत करो, इससे तुम्हारे सभी कष्ट दूर हो जाएंगे। इसके बाद मां पार्वती चली गईं।

करीब एक साल बाद वहां नागकन्याएं आईं और उन्होंने बालक को गणेश पूजन की विधि बताई। बालक ने 21 दिन तक पूरे नियम और श्रद्धा से व्रत किया। भगवान गणेश प्रसन्न हुए और वरदान मांगने को कहा। बालक ने प्रार्थना की कि उसे इतनी शक्ति मिले कि वह अपने पैरों पर चलकर कैलाश पर्वत तक जा सके। गणेश जी ने उसे यह वरदान दे दिया।

इसके बाद बालक ने कैलाश पर्वत पर पहुंचकर भगवान शिव को पूरी कथा सुनाई। बालक की बात सुनकर भगवान शिव ने भी 21 दिन तक गणेश व्रत किया और माता पार्वती की नाराजगी दूर हो गई। बाद में माता पार्वती ने भी अपने पुत्र कार्तिकेय से मिलने की इच्छा से इसी प्रकार का व्रत किया। व्रत के 21वें दिन कार्तिकेय स्वयं माता से मिलने पहुंचे।

इस कथा से यह स्पष्ट होता है कि विनायक चतुर्थी का व्रत सिर्फ पूजा का एक माध्यम नहीं, बल्कि ईश्वर से जुड़ने और अपने जीवन की कठिनाइयों को दूर करने का साधन भी है। भगवान गणेश, जो विघ्नों का नाश करने वाले हैं, इस व्रत से प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। इसलिए यह व्रत श्रद्धा और नियमपूर्वक करना अत्यंत फलदायक माना गया है।

मेष वार्षिक राशिफल 2025वृषभ वार्षिक राशिफल 2025
मिथुन राशिफल 2025कर्क राशिफल 2025
सिंह राशिफल 2025कन्या राशिफल 2025
तुला राशिफल 2025वृश्चिक राशिफल 2025
धनु राशिफल 2025मकर राशिफल 2025
कुंभ राशिफल 2025मीन राशिफल 2025

धर्म संबंधित अन्य खबरों के लिए क्लिक करें

डिसक्लेमर- इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।