Sawan Vinayak Chaturthi 2025 Date: हिंदू धर्म में विनायक चतुर्थी का विशेष महत्व है। यह तिथि भगवान गणेश को समर्पित है। आपको बता दें कि सावन विनायक चतुर्थी का व्रत श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाएगा। वहीं वैदिक पंचांग के अनुसार इस बार सावन विनायक चतुर्थी के दिन रवि योग बन रहा है। सात ही 12 घंटे की भद्रा रहेगी। वहीं मान्यता है कि विनायक चतुर्थी के दिन व्रत रखकर गणपति बप्पा की पूजा करते हैं, उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। वहीं आने वाली विघ्न और बाधाएं दूर होती है। इस बार विनायक चतुर्थी पर सावन का तीसरे सोमवार संयोग बना रहा है। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती के साथ श्री गणेश की पूजा की जाएगी। पूजा करने से सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त और आरती…

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विनायक चतुर्थी तिथि 2025

वैदिक पंचांग के अनुसार सावन शुक्ल चतुर्थी तिथि की शुरुआत 27 जुलाई दिन रविवार को रात 10 बजकर 42 मिनट से होगी। साथ ही यह तिथि 28 जुलाई सोमवार को रात 11 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदयाति​थि के अनुसार सावन विनायक चतुर्थी का व्रत 28 जुलाई को रखा जाएगा।

सावन विनायक चतुर्थी पूजा मुहूर्त

सावन विनायक चतुर्थी पर पूजा मुहूर्त 28 जुलाई को सुबह 11:05 मिनट से दोपहर 1:48 मिनट तक रहेगा। ऐसे में इस दिन विनायक चतुर्थी पूजा के लिए आपको 2 घंटे 43 मिनट का शुभ समय मिलेगा। वही 28 जुलाई को भद्रा सुबह 10:56 मिनट से रात 11:25 मिनट तक रहेगी। ऐसे में भद्रा के समय में शुभ कार्य नहीं होंगे, लेकिन गणेश जी की पूजा की जा सकती है।

गणेश आरती (Ganesh Ji Ki Aarti)

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.
एकदन्त दयावन्त, चार भुजाधारी.
माथे पर तिलक सोहे, मूसे की सवारी.
पान चढ़े फूल चढ़े, और चढ़े मेवा.
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा.
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.
अँधे को आँख देत, कोढ़िन को काया.
बाँझन को पुत्र देत,निर्धन को माया.
सूर श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा.
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.
दीनन की लाज राखो, शम्भु सुतवारी.
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी.
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.

गणेश जी के मंत्र

-ॐ गं गणपतये नम:

-वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ। निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥

-ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरू गणेश।
ग्लौम गणपति, ऋदि्ध पति, सिदि्ध पति। मेरे कर दूर क्लेश।।

-ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।

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