शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन विनायक चतुर्थी मनाई जाती है। पुराणों के अनुसार, महिलाओं के लिए इस व्रत को उपयोगी माना गया है। मान्यता है कि विघ्नहर्ता के पूजन से जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं। इसी कारण से मंगलमूर्ति और प्रथम पूजनीय भगवान गणेश को संकटहारी भी कहा जाता है। इस चतुर्थी के दिन व्रत रखकर भगवान गणेश के पूजन से सुख-समृद्धि, धन और शांति की प्राप्ति होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह दो बार चतुर्थी का व्रत आता है, जिसमें कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा से लाभ होता है।

पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय सभी देवताओं में इसे लेकर विवाद हो गया था कि धरती पर सबसे पहले किसका पूजन होना चाहिए। इसके बाद सभी देवता अपने आपको सबसे उच्च बताने लगे। मामले को उलझता हुआ देख सभी देवतागण इकठ्ठा हुए और भगवान शिव के पास गए। भगवान शिव ने इस समस्या का निदान निकालने के लिए प्रतियोगिता का आयोजन किया। भगवान शिव ने कहा कि जो भी देवता पूरे ब्रह्मांड का चक्कर लगाकर सबसे पहले मेरे पास आएगा, वही धरती पर सभी देवताओं से पहले पूजा जाएगा। इसके बाद सभी देवता अपने वाहन लेकर ब्रह्मांड का चक्कर लगाने के लिए निकल गए।

भगवान गणेश ने भी इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था, लेकिन वे सभी देवताओं के साथ नहीं गए। उन्होंने अपने माता-पिता (शिव-पार्वती) की परिक्रमा की और उनके सामने हाथ जोड़कर खड़े हो गए। पूरे संसार का चक्कर लगाने के बाद जब सभी देवता लौटे तो भगवान शिव ने श्री गणेश को विजेता बताया। शिव का ये फैसला सुनकर सभी हैरान हो गए। तब भगवान शिव ने बताया कि माता-पिता को ब्रह्मांड में सबसे ऊंचा दर्जा प्राप्त है। इसके बाद सभी देवता भगवान शिव के फैसले से सहमत हो गए। तभी से भगवान गणेश को समस्त देवताओं से पहले पूजा जाता है। भगवान गणेश को बुद्धि का देवता भी कहा जाता है और इनके साथ माता सरस्वती का पूजन किया जाता है।