Vikram Samvat: यूं तो पूरी दुनिया में नया साल 1 जनवरी को मनाया जाता है, लेकिन भारतीय संस्कृति के अनुसार हिंदू नववर्ष की शुरुआत चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा से होती है। हालांकि यह तिथि हर साल बदलती है और हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल हिंदू नववर्ष 30 मार्च 2025 को मनाया जाएगा। यह दिन धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसी दिन से चैत्र नवरात्रि की भी शुरुआत होती है। बता दें कि हिंदू नववर्ष को हिंदू नव संवत्सर या नया संवत के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर हिंदू नववर्ष क्यों मनाया जाता है और कब से इसकी शुरुआत हुई? अगर नहीं, तो आइए आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।

विक्रम संवत क्या है?

हिंदू नववर्ष विक्रम संवत के आधार पर मनाया जाता है और इसकी शुरुआत राजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने की थी। यह संवत अंग्रेजी कैलेंडर से 57 साल आगे चलता है। इसे गणितीय दृष्टि से सबसे सटीक काल गणना माना जाता है और ज्योतिषी भी इसे ही मानते हैं। इस संवत में कुल 354 दिन होते हैं, और हर तीन साल में एक अतिरिक्त माह (अधिक मास) जोड़ा जाता है, ताकि समय का संतुलन बना रहे। बता दें कि इसे भारत के अलग-अलग राज्यों में गुड़ी पाड़वा, उगादि जैसे नामों से जाना जाता है।

हिंदू नववर्ष हिंदुओं के लिए क्यों है महत्वपूर्ण?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी। यही कारण है कि इस दिन को नवसंवत्सर के रूप में मनाया जाता है। इस दिन से ही चैत्र नवरात्रि शुरू होती है, जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। वहीं, राम नवमी भी इसी महीने में आती है, जो भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है।

चैत्र नवरात्र से ही क्यों होती है हिंदू नववर्ष की शुरुआत?

हिंदू पंचांग में नया साल चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होता है। इसके पीछे एक खास वजह है। फाल्गुन पूर्णिमा के बाद चैत्र माह की शुरुआत होती है, लेकिन उस समय कृष्ण पक्ष चलता है। सनातन परंपरा हमेशा अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने में विश्वास रखती है। इसलिए जब चैत्र शुक्ल पक्ष शुरू होता है, तभी से नववर्ष मनाया जाता है।

हिंदू नववर्ष से जुड़ी खास बातें

  1. चैत्र महीना हिंदू कैलेंडर का पहला महीना होता है और यह होली के बाद शुरू होता है। इस माह की शुक्ल प्रतिपदा से ही हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। इसी माह में नवरात्रि शुरू होती है और भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है।
  2. हिंदू नववर्ष से ही नए संवत्सर की शुरुआत होती है। सभी चारों युगों में सबसे पहले सतयुग की शुरुआत भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही हुई थी। इसे सृष्टि के कालचक्र का पहला दिन माना जाता है।
  3. इसी दिन भगवान श्रीराम ने वानरराज बाली का वध किया था और वहां की प्रजा को उसके अत्याचार से मुक्त कराया था। जिसकी खुशी में प्रजा ने अपने-अपने घरों पर ध्वज फहराए थे।

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