Vijayadashmi 2022: दशहरा का शास्त्रों में विशेष महत्व है। इस दिन श्री राम ने लंका पति रावण का वध किया था। दशहरा को विजयदशमी या दशईं के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन देशभर में रावण का प्रतीकात्मक रूप बनाकर दहन किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार दशहरा पर कुछ पेड़ों की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। साथ ही इन पेड़ों की पूजा से जीवन में धन- समृद्धि का वास रहता है और शत्रुओं पर विजय हासिल होती है। आइए जानते हैं इन पेड़ों के बारे में…
शमी के पेड़ की करें पूजा
ज्योतिष शास्त्र में पेड़ों की पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है। साथ ही पौधों की जड़ हाथ में बांधने से ग्रहों के अशुभ फल से मुक्ति मिल सकती है। जैसे शमी के पेड़ का संबंध शनि देव से माना जाता है और इसकी पूजा करने से शनि दोष से भी मुक्ति मिलती है। वहीं लंका पर विजयी पाने से पहले श्रीराम ने शमी पूजन किया था। साथ ही नवरात्र में भी मां दुर्गा का पूजन शमी वृक्ष के पत्तों से करने का विधान है। मान्यता है कि दशहरे के दिन अगर शमी के पेड़ की पूजा की जाए तो धन में वृद्धि होती है और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। इसलिए दशहरे के दिन शमी के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। पूजा शाम को करना विशेष फलदायी रहेगा।
अपराजिता के पेड़ की करें पूजा
शास्त्रों में अपराजिता का पौधा बहुत शुभ माना गया है। मान्यता है कि अपराजिता बेल में मां लक्ष्मी निवास करती हैं। जिससे धन में वृद्धि होती है। वहीं अपराजिता पेड़ या फूल को देवी अपराजिता का रूप माना जाता है। अपराजिता की पूजा के लिए सबसे अच्छा समय दोपहर के बाद का है। विजय पाने के लिए देवी अपराजिता की पूजा की जाती है। अपराजिता बेल में विभिन्न प्रकार के फूल होते हैं लेकिन नीले रंग के अपराजिता के पौधे की पूजा करना शुभ माना जाता है। वहीं अगर कुंडली में शनि देव अशुभ स्थित हो तो भी अपराजिता के पौधे की पूजा कर सकते हैं।
पुराणों के अनुसार भगवान राम ने राक्षस रावण का वध करने से एक दिन पहले विजयादशमी पर देवी अपराजिता की पूजा की थी। वहीं अगर आप किसी जरूरी काम से यात्रा कर रहे हैं तो यात्रा करने से पहले देवी अपराजिता की पूजा की जाती है। जिससे यात्रा सुखद और उद्देश्यपूर्ण रहती है।