Vidur Niti: धर्मराज का अवतार माने जाने वाले महात्मा विदुर का जन्म एक दासी के गर्भ से हुआ था। इसी वजह से महाविद्वान विदुर को राजा बनने का अधिकार प्राप्त नहीं हो पाया। वे हस्तिनापुर के प्रधानमंत्री रहे थे, जिन्हें धर्म और नीतियों के ज्ञाता माना जाता है। पांडवों के प्रति विदुर का प्रेम अधिक था, इसके बावजूद भी राजा धृतराष्ट्र और कौरव विदुर की सलाह को मानते थें। इतना ही नहीं, पितामह भीष्म भी कोई जरूरी फैसला लेने से पहले विदुर से सलाह मशविरा अवश्य करते थे। विदुर के असीमित ज्ञान के भंडार से हर कोई परिचित है। वर्तमान समय में भी विदुर की नीतियों को बेहद प्रासंगिक माना जाता है। धन को लेकर महात्मा विदुर ने क्या कहा है आइए जानते हैं –
श्रीर्मङ्गलात् प्रभवति प्रागल्भात् सम्प्रवर्धते।
दाक्ष्यात्तु कुरुते मूलं संयमात् प्रतितिष्ठत्ति।।
इस श्लोक के माध्यम से महात्मा विदुर लोगों को ये सलाह देते हैं कि शुभ कर्म करने से ही मां लक्ष्मी की कृपा लोगों पर पड़ती है। ऐसे में लोगों को हमेशा सद्कर्म करते रहना चाहिए। वो कहते हैं कि गलत कार्यों के जरिये लोग कुछ समय के लिए पैसा अर्जित कर सकते हैं। लेकिन लंबे समय तक ये धन काम में नहीं आता है। महात्मा विदुर के अनुसार अगर धन का इस्तेमाल सोच समझकर किया जाए और उसका सही तरीके से आय-व्यय किया जाए तो धन की बचत भी होगी और वह बढ़ेगा भी। यानी धन को अगर हम सही जगह और सही कार्यों में लगाएंगे तो वह निश्चित रूप से हमें लाभ देगा।
विद्वान महात्मा विदुर कहते हैं कि लोगों को अपने कार्य को पूरे मन और लगन से बगैर आलस के करना चाहिए। इससे काम में सफलता प्राप्त होगी। उनके अनुसार अपने काम में तत्परता लाने से बरकत मिलने की भी मान्यता है। वो कहते हैं कि समझदारी से काम करने से लोगों के काम सफल होते हैं।
विदुर के मुताबिक किसी भी व्यक्ति को आवेश में आकर फैसला नहीं करना चाहिए। साथ ही, वो सभी को संयम बरतने की भी सलाह देते हैं। उनके मुताबिक आवश्यक जरूरतों पर ही धन खर्च करना चाहिए। बिना जरूरतों की चीजों पर पैसे खर्च करने से मां लक्ष्मी कुपित हो जाती हैं। महात्मा विदुर के अनुसार भविष्य को सोचकर ही लोगों को वर्तमान में पैसों का व्यय करना चाहिए।
महात्मा विदुर कहते हैं कि लोगों को पूरी समझदारी, सहजता व धीरज धर के धन खर्च करना चाहिए। इससे मां लक्ष्मी की कृपा लोगों पर बनी रहती है।

