Vidur Niti/ Vidur Thoughts : विदुर नीति में जीवन से जुड़े पहलुओं पर बात की गई है। विदुर नीति से यह सीखने को मिलता है कि जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में किस प्रकार का व्यवहार करना चाहिए। विदुर नीति के एक श्लोक में विदुर जी बताते हैं कि 6 लोग हमेशा दुखी रहते हैं जिनसे दूरी बनाकर रखनी चाहिए। क्योंकि ऐसे लोग आपके जीवन को भी नकारात्मकता से भर देते हैं।
ईर्ष्यी घृणी न सन्तुष्ट: क्रोधनो नित्यशक्ति:।
परभाग्योपजीवी च षडेते नित्यदु:खिता:।।
ईर्ष्या करने वाला
विदुर जी कहते हैं कि ईर्ष्या करने वाला व्यक्ति हमेशा दुखी रहता है। क्योंकि ऐसा व्यक्ति दूसरों की सफलता देखकर दुखी होता है। इसलिए इनकी जिन्दगी से कभी दुख नहीं जाता है। साथ ही यह लोग अपने साथ रहने वाले लोगों को भी अपने रंग में रंग लेते हैं।
घृणा करने वाला
विदुर नीति में दूसरा दुखी व्यक्ति बताते हुए विदुर जी कहते हैं कि घृणा करने वाला व्यक्ति हमेशा परेशान रहता है जिसकी वजह से उसकी जिंदगी दुखों से भरी होती है। ऐसे लोग अपने साथ रहने वाले लोगों में भी घृणा का भाव भर देते हैं जिसके बाद इनके संगी भी दुखी रहने लगते हैं।
असंतोषी
जो लोग असंतोषी होते हैं वह कभी सुख का अनुभव नहीं कर पाते हैं। ऐसे लोग सफलता पाने के बाद भी मन में दुख लिए रखते हैं। असंतोषी व्यक्ति को अपने आस-पास भी नकारात्मकता ही अच्छी लगती है। इसलिए वह अपने साथ रहने वालों को भी दुखी कर देता है।
क्रोधी
जीवन खुशी से जीने का नाम है। क्योंकि यहां मनुष्य की उम्र कितनी है यह किसी को नहीं पता है। ऐसे में क्रोधी व्यक्ति अपने जीवन के हर एक पल को दुख में व्यतीत करता है। ऐसा व्यक्ति अपने संबंधियों और मित्रों के जीवन में भी दुख भर देता है।
शंका में रहने वाला व्यक्ति
विदुर नीति में बताया गया है कि शंका में रहने वाला व्यक्ति हमेशा दुखी रहता है। ऐसा व्यक्ति सुख के पलों को भी नहीं जी पाता है। शंका में रहने वाला व्यक्ति सुखों में भी शंका कर उसे दुख का रूप दे देता है। जो लोग जीवन में सुखी रहना चाहते हैं उन्हें ऐसे लोगों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
दूसरों पर आश्रित रहने वाला
जो व्यक्ति स्वयं सक्षम होने के बावजूद भी हमेशा दूसरों पर ही आश्रित रहता है उसका जीवन दुखों में ही व्यतीत होता है। ऐसे व्यक्ति के जीवन में सुख कुछ पलों के लिए ही आता है वो भी दूसरों पर आश्रित होने की वजह से जल्द ही दुख में बदल जाता है।

