Vidur Niti in Hindi: जिस प्रकार चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य के विचारों को समाहित किया गया है, उसी तरह विदुर नीति में महात्मा विदुर द्वारा बताए गए विचारों का सार है। विदुर जी को बुद्धिजीवी माना जाता था, इसलिए आज भी लोग उनके विचार जानना चाहते हैं। एक दासी के पुत्र होने के कारण वो राजा नहीं बन सके। इसके बावजूद हस्तिनापुर के लिए उनका प्रेम कभी कम नहीं हुआ। उनकी सलाह न केवल पांडव बल्कि धृतराष्ट्र और कौरव भी मानते थे। उनमें इतनी ज्यादा समझदारी थी कि पितामह भीष्म भी उनसे सलाह मशविरा करते थे।

महात्मा विदुर के श्लोकों से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर व्यक्ति अपनी भलाई चाहता है तो उन्हें कुछ लोगों से दूरी बना लेनी चाहिए। ये लोग न केवल खुद के लिए बल्कि दूसरों के लिए भी मुसीबत का कारण बनते हैं। आइए जानते हैं विस्तार से –

परिश्रम से भागने वाले लोग: कहते हैं कि जो लोग मेहनत करने से दूर भागते हैं, वो दूसरों को भी मेहनत नहीं करने देते हैं। ऐसे लोग न तो खुद ही कामयाबी का स्वाद चखते हैं और न ही दूसरों को सफल होने देते हैं। इसलिए कोशिश करें कि आप ऐसे लोगों से दूरी बनाकर रखें, क्योंकि यह आपको सफल नहीं होने देंगे। इतना ही नहीं, कामचोर लोगों को मां लक्ष्मी भी पसंद नहीं करती हैं।

स्वार्थ में अंधा हो चुका व्यक्ति: विदुर जी ऐसे लोगों से दूरी बनाने की सलाह देते हैं जो केवल अपने बारे में सोचते हैं। ऐसे लोग निज स्वार्थ के लिए कुछ भी कर सकते हैं। अपने साथ के लोगों का भी ये फायदा उठाने में नहीं हिचकते। महात्मा विदुर के अनुसार कहा जाता है कि स्वार्थी लोग केवल अपना हित चाहते हैं, चाहें उनके हित से दूसरों का बुरा भी हो जाए तो उन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता है। जो लोग स्वार्थ में अंधे होते हैं, उन्हें सभी रिश्ते झूठे लगने लगते हैं।

लालची लोगों से रहें दूर: विदुर नीति में यह बताया गया है कि लालची लोगों की संगत में नहीं रहना चाहिए। अपनी गलत इच्छाओं को पूरा करने के लिए ये लोग किसी रिश्ते के मायने नहीं समझते हैं। यही कारण है कि लालची व्यक्ति किसी के भी विश्वासपात्र नहीं होते। लालच का पर्दा इन लोगों की आंखों पर ऐसा पड़ा होता है, जिससे ये सही गलत में भेद करना भी भूल जाते हैं।