Vidur Niti: विदुर नीति महाभारत काल के विदुर के विचारों के बारे में बात करती है। इस नीति में कुछ खंडों में विदुर और धृतराष्ट्र संवाद बताया गया है। विदुर जी को हमेशा से ही बहुत अधिक बुद्धिमान माना जाता था, इसलिए उनके भाई धृतराष्ट्र को हर विषय पर उनसे बात करना पसंद आया करता था।
बताते हैं कि धृतराष्ट्र अपने कौरवों के विरुद्ध जाकर भी कई बार कई मामलों में विदुर जी की राय लिया करते थे। कहते हैं कि पांडवों की महाभारत युद्ध में विजय की एक बड़ी वजह विदुर जी का उनके साथ होना भी थी। विदुर नीति में विदुर जी ने इस बात पर भी चर्चा की है कि कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें कभी अपने राज नहीं बताने चाहिए। क्योंकि ऐसे लोग आपको भविष्य में परेशान कर सकते हैं।
लालची व्यक्ति – विदुर नीति में बताया गया है कि जो व्यक्ति लालची होता है, वो किसी का सगा संबंधी नहीं हो सकता है। लालची व्यक्ति अपने पिता के साथ भी छल करने में समय नहीं लगाता है। इसलिए कभी भी लालची व्यक्ति को अपने राज न बताएं क्योंकि ऐसा व्यक्ति समय आने पर आपके राज को अपना लालच सिद्ध करने के लिए उपयोग कर सकता है। भूलकर भी लालची व्यक्ति से अपने राज न कहें।
बहुत ज्यादा बातें करने वाले – जो लोग बहुत ज्यादा बातें करने के शौकीन होते हैं, वो दूसरों के लिए खतरा बन सकते हैं। क्योंकि जिन लोगों को ज्यादा बातें करने की आदत होती है वह दूसरों से अपने बारे में कम और दूसरों के बारे में ज्यादा बातें करते हैं। इस दौरान ज्यादातर लोग दूसरों के राजों को लोगों को बताने में भी हिचकिचाते नहीं हैं, क्योंकि उस समय वो केवल बातों का लुत्फ उठा रहे होते हैं।
चालाक – विदुर जी कहते हैं कि जो लोग चालाक होते हैं वो वास्तव में राज सुनने लायक ही नहीं है, क्योंकि ऐसा व्यक्ति बहुत आराम से किसी की भावनाओं और विचारों को सुनकर समय आने पर उसे अपने हित में उपयोग करने की कोशिशें करता है। इसलिए कहा जाता है कि किसी व्यक्ति को अपने जीवन में महत्व देने के लिए थोड़ा समय रुक कर विचार करना जरूरी है।

