Vidur Niti: इतिहास के बुद्धिजीवियों में विदुर जी का नाम लिया जाता है। कहते हैं कि पांडवों की विजय का श्रेय विदुर जी को भी जाता है। विदुर जी ने अपनी समझदारी से कई कठिन समस्याओं का हल निकाला है। इसलिए आज भी लोग कोई महत्वपूर्ण फैसला लेने से पहले उस पर विदुर जी की राय जानना चाहते हैं। विदुर नीति में विदुर जी कहते हैं जीते जी तीन नरक के द्वार होते हैं। इनका त्याग करना बहुत जरूरी है वरना इनसे आत्मा का नाश हो जाता है। विदुर जी कहते हैं कि –

त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः।
कामः क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत्त्रयं त्यजेत्।।

काम – विदुर नीति में विदुर जी कहते हैं कि काम व्यक्ति की आत्मा का नाश करने वाला होता है। यहां काम का अर्थ कामुकता से है। कामी व्यक्ति किसी भी काम को करते समय उसके बारे में नहीं सोचता है बल्कि उसके दिमाग में काम की धारणाएं ही घूमती रहती हैं। ऐसा व्यक्ति धार्मिक गतिविधियों के दौरान भी काम के विषय में सोचता रहता है। विदुर जी कहते हैं कि ऐसा व्यक्ति धरती पर ही नरक भोगता है। ऐसे लोगों की आत्मा का नाश होता है।

क्रोध – विदुर जी कहते हैं कि जो व्यक्ति क्रोधी होता है वह स्वयं ही अपनी जिंदगी नरक समान बना लेता है। ऐसे व्यक्ति को सब परिस्थितियों में चिड़चिड़ापन महसूस होता है जिसकी वजह से वह व्यक्ति खुश नहीं हो पाता है। कहते हैं कि ऐसा व्यक्ति स्वयं अपनी मर्जी से भी अपनी आत्मा को दुखी रखता है। इसलिए उसकी जिंदगी नरक के समान हो जाती है। विदुर जी कहते हैं कि जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी क्रोध का त्याग कर देना चाहिए क्योंकि इसकी वजह से आत्मा का नाश हो जाता है।

लोभ – ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति जो भी होता है वह अपने जीवन को नरक बना लेता है। क्योंकि लोभी व्यक्ति को हर समय अपना लोभ का ही ध्यान रहता है। ऐसा व्यक्ति अपने जीवन में हर एक कार्य इसलिए करता है ताकि उसे उसको कोई फायदा हो सके। इसलिए जो भी व्यक्ति को अच्छा नहीं माना जाता है।

क्योंकि लोग ही व्यक्ति इतनी अधिक इच्छाएं पैदा कर लेता है जिन्हें पूरा न कर पाने की वजह से उसके मन में असंतोष रहता है और वह अपनी जिंदगी नरक के समान बना लेता है। विदुर जी कहते हैं कि ऐसे व्यक्ति की आत्मा का नाश हो जाता है। इसलिए जल्दी से जल्दी लोभ का त्याग कर देना चाहिए।