Vidur Niti: विदुर नीति (Vidur Niti) में विदुर जी के विचार बताए गए हैं। माना जाता है कि विदुर बहुत समझदार थे। लेकिन वह एक दासी के पुत्र थे इसलिए उन्हें राजा नहीं बनाया गया। महाभारत काल से ही विदुर नाम सुनकर लोगों के जहन में बुद्धिमानी आती है। कहते हैं की विदुर जीवन से जुड़े सभी विषयों को बहुत गहराई से समझते थे। इसलिए ही आज भी उनका नाम बहुत सम्मान के साथ लिया जाता है। विदुर नीति में विदुर जी ने कहा है कि इस संसार में 6 सुख प्रमुख हैं। जानिये विदुर ने किन 6 सुखों को प्रमुख बताया है –
विदुर नीति में कहा गया है कि धन प्राप्ति का सुख अतुल्य है। जिस व्यक्ति को उसकी इच्छा के अनुसार धन प्राप्त होता है वह सबसे सुखी व्यक्ति होता है। जिसके पास धन है वह अपने मन की सभी इच्छाएं पूरी कर सकता है।
विदुर जी कहते हैं कि दूसरा सबसे बड़ा सुख है – स्वस्थ रहना। इस संसार में जिस व्यक्ति के पास निरोगी काया है। उससे ज्यादा सुखी और कोई नहीं है। कहते हैं कि जिसका तन बीमारियों से दूर है वह सबसे खुशहाल व्यक्ति है।
अपनी नीति में विदुर जी कहते हैं कि तीसरा सबसे बड़ा सुख यह है कि पुत्र आज्ञाकारी हो। जिस व्यक्ति के पुत्र आज्ञाकारी होते हैं उसका जीवन सफल हो जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि आज्ञाकारी पुत्र अपने माता-पिता को पूजनीय मानकर उनका जीवन धन्य कर देता है।
इस नीति में कहा गया है कि चौथा सबसे बड़ा सुख यह है कि प्रिय भार्या हो। यहां भार्या का अर्थ पत्नी है। विदुर जी कहते हैं कि जिसके पास जीवनसाथी के रूप में पसंदीदा पत्नी हो। वह बहुत सुखी होता है। पत्नी अच्छी हो तो पति को सभी सुख मिलते हैं और जीवन शांतिपूर्वक बीतता है।
पांचवें सुख को बताते हुए विदुर जी कहते हैं कि अगर मीठा बोलने वाली पत्नी हो तो यह परम सुखों में से एक है। जिस व्यक्ति की पत्नी उससे विनम्रता से बात करती हो वह बहुत सुखी होता है। उसका पूरा जीवन सुखमय व्यतीत होता है।
विदुर नीति में विदुर जी अंतिम सुख बताते हुए कहते हैं कि जिस व्यक्ति के पास मनोरथ पूरी करने वाली विद्या है, वह परम सुखी है। ऐसे व्यक्ति को कभी किसी और सुख की इच्छा नहीं रह जाती है। विद्या से अधिक सुखदायी और कुछ नहीं हो सकता है।
